राजस्थान में रैलियों का आज आखिरी दिन है. क्योंकि परसों वोटिंग है और 48 घंटे पहले ही चुनाव प्रचार समाप्त होने का नियम है ही. हालांकि प्रत्याशी घर घर घूम कर जनसम्पर्क कर सकते हैं. कांग्रेस अशोक गहलोत की स्कीम्स और इस बार के चुनावी वादों पर ही चुनाव प्रचार कर रही है. प्रचार के अंतिम दिन भी गहलोत अपनी उपलब्धियां गिनाना नहीं भूले और ना ही बीजेपी पर हमला करना. राजस्थान में कुल 200 सीटें हैं. इस बार 199 सीटों पर वोटिंग होगी.चुनाव प्रचार की ग्राउंड रिपोर्टिंग सुनिए 'दिन भर' में
कब तक निकल पाएंगे मज़दूर?
बीते 12 नवंबर को देश दीवाली मना रहा था तभी उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 41 मजदूर फंस गए क्योंकि टनल धंस गई थी और आज जब देश के एक प्रांत में चुनाव प्रचार चल रहा है तो दूसरी ओर पिछले 12 दिन से फंसे इन मजदूरों को निकालने की कोशिश. आज की ताज़ा अपडेट ये है कि उत्तरकाशी की सुरंग से 41 मजदूरों को निकालने का ऑपरेशन फाइनल राउंड में है. सिर्फ 6 मीटर की बाधा बची है, हालांकि 12 से 14 घंटे का वक्त लग सकता है, ऐसा कहा जा रहा है. रेस्क्यू ऑपरेशन के नोडल सचिव हैं नीरज खैरवाल. उन्होंने बताया कि आज मलबे में सरिया रास्ते में आने की वजह से पाइप कुछ मुड़ गया है और ऑगर मशीन को भी इससे नुकसान हुआ है. इसी तरह कल रात भी ऑगर मशीन के सामने सरिया आ गया था. ये भी कारण है कि रेस्क्यू ऑपरेशन अपने निर्धारित गति से देरी में चल रहा है, सुनिए 'दिन भर' में
डीपफेक को क़ानून रोक पाएगा?
कुछ दिन पहले ऐक्ट्रेस रश्मिका मंधाना की फेक तस्वीर वायरल हुई जो देश भर में चर्चा का विषय बनी. प्रधानमंत्री समेत देश दुनिया के नामचीन लोगों ने इसको लेकर चिंता जताई थी. आज इसी को लेकर केंद्र सरकार ने बैठक बुलाई थी. आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बैठक की अध्यक्षता की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ बैठक के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. संबोधित किया. इस दौरान उनका कहना था डीपफेक लोकतंत्र के लिए एक नया खतरा बनकर उभरा है और सरकार रेगुलेशन लाने पर भी विचार कर रही है. वैष्णव ने ये भी कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म् इस बात पर सहमत हैं कि ‘डीपफेक’ का पता लगाने, उसे रोकने के लिए ऐक्शन की जरूरत है, सुनिए 'दिन भर' में
महामारियों की ज़मीन
कैसे बना चीन
दुनिया अभी पूरी तरह कोरोना से उबर भी नहीं पाई है लेकिन चीन से अब भी बीमारियों की खबर आ ही रही हैं. हालांकि इस बार की बीमारी नई नहीं है लेकिन नया ये है और भयानक भी कि चीन में ये बीमारी महामारी बन चुकी है. और ये है एक नए तरह का\ निमोनिया जिसे Mysterious Pneumonia भी कहा जाता है. हालात ठीक वैसे ही हैं, जैसे कोरोना की शुरुआत में बने हुए थे. अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, कम उम्र के बच्चे तेज़ी से बीमार हो रहे हैं. परेशान करने वाली बात ये है कि हेल्थ एक्सपर्ट और डॉक्टर भी इसके बारे में कुछ खास नहीं बता पा रहे, जिससे इलाज में भी परेशानी हो रही है. ऐसी खबरें हैं कि बढ़ते संकट को देखते हुए जल्द ही स्कूल बंद होने वाले हैं. WHO ने अलर्ट भी जारी कर दिया है,साथ ही Detailed Inforamtion के लिए चीन से आधिकारिक अनुरोध भी किया है. इंसानों और जानवरों की बीमारी पर नज़र रखने वाला संस्थान प्रोमेड ने चीन में फैल रहे इस अनकंट्रोल निमोनया के लिए कहा है कि इस बीमारी का सबसे पहला और बड़ा लक्षण तेज बुखार है और ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, सुनिए 'दिन भर' में