मध्य प्रदेश में बीजेपी ने जिन 39 उम्मीदवारों के नाम को मंजूरी दी है, उनमें से एक नाम ध्रुव नारायण सिंह का है. बीजेपी ने ध्रुव नारायण को भोपाल मध्य सीट से उम्मीदवार घोषित किया है. ध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे और साल 2008 से 2013 तक भोपाल मध्य सीट से ही विधायक रह चुके ध्रुवनारायण को टिकट देना शहला मसूद के परिजनों के लिए चौंकाने वाला है. वह बीजेपी के इस फैसले से आहत हैं और सवाल उठा रहे हैं.
शेहला मसूद के भाई ने उठाए सवाल
शेहला मसूद के भाई राजिल जैदी ने सवाल उठाते हुए कहा कि, “यह चौंकाने वाला है और उचित नहीं है, अगर उन्हें 2023 में बीजेपी को फिर से टिकट देना ही था, तो भाजपा ने 2013 और 2018 में उनका टिकट क्यों छीना, यह वास्तव में चौंकाने वाला है. ' बता दें कि, साल 2013 में भाजपा ने ध्रुव नारायण सिंह से किनारा कर लिया था, जब उनका नाम आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद की हत्या में आया था, हालांकि बाद में उन्हें सीबीआई ने इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी.
सीबीआई ने की थी हत्याकांड की जांच
शेहला मसूद हत्याकांड की जांच सीबीआई ने की थी और ध्रुव नारायण इस RTI कार्यकर्ता की हत्या की वजह बने थे. असल में यह हत्या लव ट्राएंगल का परिणाम थी. मामले की मुख्य आरोपी जाहिदा के साथ ध्रुवनारायण के विवाहेतर संबंध थे और जाहिदा को लगता था, शेहला की वजह से ध्रुव उससे दूर भाग रहे हैं. सीबीआई ने कभी भी आरोप पत्र में ध्रुव का नाम नहीं लिया था. बता दें कि, 16 अगस्त, 2011 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मशहूर आरटीआई कार्यकर्ता 38 वर्षीया शहला मसूद की उनके घर के बाहर ही कार में हत्या कर दी गई थी. स्थानीय पुलिस को शुरू में लगा था कि यह खुदकुशी का केस है. लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी इस केस की कड़ियां उलझती चली गईं. इस बीच मीडिया और लोगों के दबाव में आकर राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. 19 अगस्त, 2011 को यह मामला सीबीआई के हवाले कर दिया गया था.
ऐसे खुला था हत्याकांड का राज
सीबीआई के तत्कालीन संयुक्त निदेशक केशव कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने 29 फरवरी, 2012 को जाहिदा परवेज के दफ्तर पर दबिश दी थी. पॉश मार्केट एमपी नगर में आर्किटेक्चर कंपनी चलाने वाली 35 वर्षीया जाहिदा को शहला की हत्या की प्रमुख संदिग्ध के रूप में गिरफ्तार किया गया था. इस दबिश में जो अहम चीज मिली, वह जाहिदा की डायरी थी. दरअसल, इस डायरी ने ही पूरे केस का पर्दाफाश कर दिया था. इससे कई सनसनीखेज खुलासे हुए थे.
जाहिदा की डायरी में शहला की हत्या वाले दिन यानी 16 अगस्त, 2011 को भी एक एंट्री मिली थी, जिसमें लिखा था, 'उसे उसके घर के सामने गोली मार दी गई. मैं सुबह से ही परेशान थी. अली (साकिब अली 'डैंजर', जिसने भाड़े के हत्यारों को हत्या का काम सौंपा था) ने 11:15 बजे फोन किया कि मुबारक हो साहिब, हमने उसके घर के सामने काम कर दिया. हत्या की पुष्टि के लिए मैंने अपने एक कर्मचारी को शहला के घर भेजा. उसके बाद मुझे सुकून मिला.'
ध्रुव नारायण की उम्मीदवारी से शेहला का परिवार नाखुश
जाहिदा के दफ्तर में चले करीब दो घंटे तक तलाशी अभियान के दौरान नाटकीय और घातक प्रेम त्रिकोण के रहस्य का पर्दाफाश करने वाले कई सबूत हाथ लग गए. बीजेपी के ताकतवर नेता ध्रुव नारायण सिंह के साथ जाहिदा के प्रेम संबंध थे. उनकी दूसरी प्रेमिका शहला थी. जाहिदा किसी भी कीमत पर शहला को खत्म करना चाहती थी. इसके लिए उसने भाड़े के शूटरों की मदद ली थी, जिन्हें यूपी से पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
इस सारे प्रकरण के बाद ध्रुवनारायण सिंह पर कानूनी तौर पर बहुत आंच नहीं आई, लेकिन उनका राजनीतिक नुकसान काफी हुआ था. अब बीजेपी ने जब एक बार फिर ध्रुवनारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया है तो शेहला मसूद के परिवार के अनुसार उनके लिए ये अनुचित है. उन्होंने इसे लेकर सवाल उठाए हैं.