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Rajiv Gandhi assassination: लड्डू बंटे, बजे ढोल... राजीव गांधी के हत्यारे पेरारिवलन के गांव में यूं मना जश्न

Rajiv Gandhi Assassination Case: राजीव गांधी के हत्यारे ए जी पेरारिवलन को 31 साल बाद रिहा कर दिया गया है. इसके बाद पेरारिवलन के गांव में जश्न मनाया गया.

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पेरारिवलन अपने पिता और बहन के साथ (फोटो- पीटीआई)
पेरारिवलन अपने पिता और बहन के साथ (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा किया
  • पेरारिवलन को SC ने पहले ही जमानत दे दी थी

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए जी पेरारिवलन को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया. कोर्ट के फैसले पर एक तरफ जमकर राजनीति हो रही है, वहीं आदेश के बाद तमिलनाडु के जोलारपेट्टई (Jolarpettai) शहर का माहौल खुशनुमा हो गया था. यहां पेरारिवलन का परिवार रहता है, जो उसकी रिहाई की खबर सुनकर खुशियां मना रहा था. पेरारिवलन जो खुद जमानत पर बाहर है उसने भी रिहाई मिलने पर राहत की सांस ली. 

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कांग्रेस और बीजेपी ने भले इसका विरोध किया लेकिन तमिलनाडु में सत्ताधारी DMK और विपक्षी दल AIADMK दोनों से इसका विरोध किया. कांग्रेस ने तो इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तक का ऐलान कर दिया. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एस अलागिरी ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना नहीं करना चाहते, लेकिन यह जरूर कहेंगे कि वे (सभी सात दोषी) हत्यारे थे, कोई बेगुनाह नहीं.

बंटे लड्डू, Perarivalan ने बजाया Parai

पेरारिवलन की रिहाई के आदेश के बाद उनके शहर में जश्न जैसा माहौल था. वहां लड्डू बांटे गए. इसके साथ-साथ पेरारिवलन ने Parai (एक तरह का ड्रम) भी बजाया.

सीएम से मिले पेरारिवलन

पेरारिवलन ने रिहाई के आदेश के बाद तमिलनाडु के सीएम स्टालिन से मुलाकात भी की थी. इस दौरान पेरारिवलन की मां भी उनके साथ थी. स्टालिन ने बाद में कहा था कि सातों दोषियों को रिहा कराने की मांग उनके मेनिफेस्टो में थी. हालांकि, AIADMK का कहना है कि पेरारिवलन कि रिहाई पूर्व सीएम जयललिता के प्रयासों की वजह से हो पाई है.

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पेरारिवलन अपनी मां के साथ

बता दें कि पेरारिवलन करीब 30 साल जेल में रहे. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया.

पीठ ने कहा, ‘अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना सही होगा.' संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है.

यह भी पढ़ें - Rajiv Gandhi Assassination: 16 साल लटकती रही मौत की तलवार, रिहाई पर ये बोला राजीव गांधी हत्याकांड का दोषी

इससे पहले 9 मार्च को पेरारिवलन को न्यायालय ने यह देखते हुए जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली.

1991 में हुई थी राजीव गांधी की हत्या

तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में 21 मई, 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था जिसमें राजीव गांधी मारे गए थे, महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी,

न्यायालय ने मई 1999 के अपने आदेश में चारों दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा बरकरार रखी थी. फिर सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था, न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय किया था.

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