संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया. इसे लेकर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को सांसदों से अपनी जिम्मेदारी निभाने की अपील की. उन्होंने कहा कि जनता को यह सोचने पर मजबूर नहीं होना चाहिए कि उन्हें (सांसदों को) संसद में क्यों भेजा था, धनखड़ ने जोर देते हुए कहा कि किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए अभिव्यक्ति और संवाद का समान रूप से महत्वपूर्ण होना आवश्यक है, और यह दोनों पक्षों की बड़ी जिम्मेदारी है.
सांसदों से जवाबदेही की अपील करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कोई गलती न करें, मैं सांसदों की बात कर रहा हूं, लोग अब अव्यवस्था को ही व्यवस्था के रूप में स्वीकार करने लगे हैं, लेकिन इसमें कोई द्वेष की भावना नहीं है, उन्होंने कहा कि लोग आपको सोचने पर मजबूर करेंगे कि आप वहां (संसद) क्यों गए थे?
'ग्रामीण विकास की रीढ़ है खेती'
चौधरी चरण सिंह पुरस्कार- 2024 के विजेताओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि खेती, ग्रामीण विकास की रीढ़ है. जब तक कृषि का विकास नहीं होता, ग्रामीण परिदृश्य को नहीं बदला जा सकता, और जब तक ग्रामीण परिदृश्य नहीं बदलता, हम विकसित राष्ट्र बनने की उम्मीद नहीं कर सकते. भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए लोगों की आय में 8 गुना वृद्धि होनी चाहिए, उन्होंने कहा कि यह एक कठिन चुनौती है. धनखड़ ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमारे पास सबसे बड़ा बाजार कृषि उपज है, फिर भी किसान समुदाय इससे शायद ही जुड़े हों, कृषि क्षेत्र को आर्थिक विकास का इंजन बनाने के लिए सरकारों को इसे प्राथमिकता देनी चाहिए.
'सरकार की नीतियां चौधरी चरण सिंह के विजन को दर्शाती हैं'
किसान ट्रस्ट की ओर से अलग से जारी एक बयान में कहा गया कि पुरस्कार शनिवार को प्रदान किए गए और इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जयंत चौधरी भी शामिल हुए. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की मौजूदा नीतियां चौधरी चरण सिंह के विजन को दर्शाती हैं. किसान ट्रस्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि खरीद मूल्य, किसानों के लिए ऋण राहत, भूमि सुधार और भूमिहीन लोगों के उत्थान पर उनका विजन अभी भी प्रासंगिक है.