राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को नया नाम दिया है. सभापति धनखड़ ने शिवराज को 'किसान के लाडले' नाम दिया है. शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान सभापति जगदीप धनखड़ ने कृषि मंत्री को यह नाम दिया. तब कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से संबंधित सवाल पूछे जा रहे थे.
दरअसल, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने किसानों के दिल्ली मार्च का मुद्दा उठाते हुए यह पूछा कि तीन दिन पहले संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति ने एमएसपी को लेकर कुछ सवाल किया था. उसी पर जानना चाहता हूं कि सरकार क्या कर रही है और कृषि मंत्री की क्या राय है. सभापति जगदीप धनखड़ ने जयराम रमेश के सवाल पर कहा कि सुनिए-सुनिए, मंत्री जी (शिवराज) जाते समय भी हमारे साथ थे और आते समय भी थे. हमारी बात हुई है.
उन्होंने आगे कहा कि मंत्रीजी से कहा और आश्वस्त हुआ कि जिस आदमी की पहचान देश में लाडली के रूप में थी, वह किसान का लाडला होगा. सभापति धनखड़ ने कहा कि किसान के लाडले... आज आपका (शिवराज का) नामांकन कर दिया. सभापति जगदीप धनखड़ के इतना कहने के बाद शिवराज ने जयराम रमेश के सवाल का जवाब दिया.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरी स्पष्ट राय है कि हम लागत का 50 फीसदी जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करेंगे और खरीदेंगे. किसानों की सेवा अपनी पूरी सामर्थ्य झोंककर करेंगे. आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने किसान कर्जमाफी के लिए फ्रेमवर्क को लेकर सवाल किया. इसके जवाब में शिवराज ने कहा कि हम उत्पादन बढ़ाएंगे, उत्पादन की लागत घटाएंगे, उत्पादन को नुकसान की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से भरपाई करेंगे और किसान की आय इतनी बढ़ाएंगे कि उसके हाथ कर्जमाफी मांगने के लिए नहीं उठेंगे.
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इससे पहले, केरल के सांसद जोस के मणि ने किसानों की आय का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि किसानों की आय में सैलरी इनकम से बड़ा गैप कम करने के लिए सरकार की क्या योजना है. इसके जवाब में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा हैं. इस मंत्रालय के नाम में पहले किसान कल्याण कहीं था ही नहीं. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है.
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उन्होंने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए छह सूत्रीय कार्यक्रम पर हम काम कर रहे हैं. कृषि मंत्री ने एमएसपी को लेकर कहा कि एमएसपी तब देते हैं जब उससे नीची दरों पर फसल बिकती है. जब ऊंची दरों पर फसल बिक रही है तो उसके लिए एमएसपी देने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने यूपीए काल और एनडीए की सरकार के 10 साल के कार्यकाल में एमएसपी पर हुई खरीद के आंकड़े भी सदन में बताए और सदन को आश्वस्त किया कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर किसान का उत्पाद खरीदा जाएगा.