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 '...कुछ भी हवा निकल सकती है, मेरे निर्णय का इंतजार करें', हंगामा कर रहे विपक्ष से क्यों बोले जगदीप धनखड़

राज्यसभा में मंगलवार को विपक्ष की नारेबाजी और हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने अपनी-अपनी सीट पर जाने की अपील की. उन्होंने विपक्ष की ओर मुखातिब होकर कहा कि कुछ भी मुमकिन है, कुछ भी हवा निकल सकती है.

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जगदीप धनखड़
जगदीप धनखड़

राज्यसभा में मंगलवार को कार्यवाही की हंगामेदार शुरुआत हुई. राज्यसभा के सभापति जैसे ही अपने आसन पर पहुंचे, विपक्ष के सांसद वेल में आ गए. इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कार्यवाही की शुरुआत करते हुए वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में भारतीय महिला मुक्केबाजों के चार गोल्ड मेडल जीतने की चर्चा करते हुए इस सफलता के लिए बधाई दी.

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महिला मुक्केबाजों को सदन में गोल्ड मेडल जीतने पर बधाई दी गई और इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कामकाज की शुरुआत की. सभापति ने सदस्यों से अपने नाम के आगे अंकित रिपोर्ट्स और प्रपत्र सदन पटल पर रखने के लिए कहा. इसके बाद राज्यसभा में संसद की स्टैंडिंग कमेटी की शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी रिपोर्ट के साथ ही अन्य रिपोर्ट्स पेश की गईं.

इस दौरान विपक्ष के सांसद वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे. राज्यसभा में हंगामा होने लगा. हंगामे के बीच रिपोर्ट्स और पत्र सदन पटल पर रखे गए. इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने नियम 267 के तहत नोटिस का जिक्र किया और विपक्ष के सांसदों से अपनी-अपनी सीट पर वापस जाने के लिए कहा. सभापति धनखड़ ने विपक्ष के सदस्यों की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि कुछ भी मुमकिन हो सकता है.

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उन्होंने कहा कि कुछ भी हवा निकल सकती है. सभापति धनखड़ ने कहा कि आप अपनी कुर्सी पर बैठिए, मेरे निर्णय का इंतजार कीजिए. विपक्ष का हंगामा और अडानी मुद्दे पर जेपीसी की मांग को लेकर नारेबाजी जारी रही. विपक्ष की नारेबाजी के बीच सभापति धनखड़ ने इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित करने का ऐलान कर दिया.

विपक्ष ने जेपीसी की मांग को लेकर लगाए नारे

विपक्ष के सांसदों ने राज्यसभा में अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच की मांग को लेकर नारेबाजी की. विपक्षी सदस्य मोदी-अडानी भाई-भाई और वी वांट जेपीसी के नारे लगा रहे थे. गौरतलब है कि एक दिन पहले भी विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई थी. राज्यसभा की कार्यवाही हंगामे के कारण दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी थी. दोपहर दो बजे विपक्ष की नारेबाजी के बीच राज्यसभा से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के बजट पारित कर दिया गया था और वित्त विधेयक को संशोधन के सुझाव के साथ लोकसभा को वापस भेज दिया गया था.

 

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