जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की कवायद शुरू हो गई है. अब 6 अगस्त को प्राइवेट मेंबर बिल (Pvt member bill) पर राज्यसभा में चर्चा होगी. बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा का जनसंख्या नियंत्रण (Population control) को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल पेश हो चुका है. 6 अगस्त को राकेश सिन्हा के प्राइबेट मेंबर बिल पर चर्चा हो सकती है. वहीं, इसी बारे में राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल का प्राइवेट मेंबर बिल भी दिया गया है.
वहीं, गोरखपुर के सांसद रवि किशन शुक्ला भी जनसंख्या नियंत्रण पर निजी बिल पेश करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, रवि किशन फिलहाल पारिवारिक समारोह में हिस्सा लेने गांव की ओर गए हैं. सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि निजी सदस्य विधेयक 23 जुलाई को लोकसभा में पेश किया जाएगा.
बता दें कि मॉनसून सत्र 19 जुलाई से 13 अगस्त तक चलेगा. इसमें 19 बैठक (कामकाज के दिन) होंगी. 18 जुलाई को सदन के फ्लोर लीडर की बैठक होगी. उसके बाद सदन की कार्यवाही चलाने के लिए बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक होगी.
सीएम योगी ने जारी की थी जनसंख्या नीति
विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030 जारी की थी. उन्होंने कहा था कि बढ़ती हुई जनसंख्या विकास में एक बड़ी बाधा है.
इधर, दावा किया जा रहा है कि आरएसएस के हस्तक्षेप से जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण कानून पर मुहर लग सकती है. आरएसएस का मानना है कि इससे बीजेपी को विधानसभा चुनाव में सीधा फायदा होगा.
विश्व हिन्दू परिषद ने खड़े किए सवाल
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाई गई नई जनसंख्या नीति पर विश्व हिन्दू परिषद (Vishva Hindu Parishad) ने सवाल खड़े किए हैं. विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस मसले पर यूपी लॉ कमिशन को चिट्ठी लिखी है.
विश्व हिन्दू परिषद द्वारा बिल में शामिल एक बच्चे की नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. वीएचपी का कहना है कि पब्लिक सर्वेंट या अन्य को एक बच्चा होने पर इंसेटिव देने की बात कही गई है. इस नियम को बदलना चाहिए.
'वन चाइल्ड पॉलिसी का नकारात्मक प्रभाव'
विश्व हिन्दू परिषद की ओर से कहा गया है कि दो बच्चों वाली नीति जनसंख्या नियंत्रण की ओर ले जाती है. लेकिन दो से कम बच्चों की नीति आने वाले समय में कई नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकती है.
विश्व हिन्दू परिषद द्वारा अपनी चिट्ठी में सवाल खड़े किए गए हैं कि अगर वन चाइल्ड पॉलिसी लाई जाती है तो इससे सामाज में आबादी का असंतुलन पैदा होगा. ऐसे में सरकार को इस बारे में फिर से विचार करना चाहिए, वरना इसका असर नेगेटिव ग्रोथ पर हो सकता है.