तमिलनाडु में परिसीमन के बाद लोकसभा सीटें घटने की राज्य सरकार की आशंका के बीच केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि परिसीमन के बाद किसी राज्य के साथ नाइंसाफी नहीं होगी.
केंद्रीय राममोहन नायडू ने कहा कि हमारी पार्टी के नेता ने इस मुद्दे पर रुख स्पष्ट किया है. हम नीति आयोग से बात करेंगे. हम किसी राज्य के साथ नाइंसाफी नहीं चाहते.
दरअसल, तमिलनाडु की स्टालिन सरकार का दावा है कि परिसीमन के बाद लोकसभा सीटों की संख्या कम हो सकती है. इस पर एक दिन पहले ही गृहमंत्री अमित शाह ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि तमिलनाडु में एक भी संसदीय सीट कम नहीं होगी.
बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि अगर जनसंख्या जनगणना के आधार पर परिसीमन किया गया तो राज्य में आठ लोकसभा सीटें कम हो जाएंगी.
स्टालिन ने परिसीमन को लेकर क्या कहा था?
परिसीमन का ये मुद्दा तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके और बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच एक प्रमुख टकराव का मुद्दा बना हुआ है. मुख्यमंत्री स्टालिन ने परिसीमन के निहितार्थों पर चर्चा के लिए पांच मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि तमिलनाडु एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है जहां उसे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए विरोध करना होगा.
स्टालिन ने कहा था कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में, मैं सभी का ध्यान इस ओर आकर्षित करता हूं कि 2026 की जनगणना के आधार पर लोकसभा का परिसीमन बेहद खतरनाक है. तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में बहुत अच्छा काम किया है. लेकिन अगर यही कारण है कि संसद में हमारी ताकत कम हो जाएगी, अगर यह हमारी आवाज को दबा सकता है, तो इसे कैसे उचित ठहराया जा सकता है?'
स्टालिन ने परिसीमन की इस प्रक्रिया को 'दक्षिणी राज्यों पर लटकी तलवार' बताते हुए कहा कि यह जनसंख्या नियंत्रण उपायों में राज्य की सफलता के बावजूद संसद में तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व कमजोर कर देगा. इससे संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कम कर दिया जाएगा. तमिलनाडु की आवाज दबाई जा रही है. यह तमिलनाडु के अधिकारों का मामला है. सभी राजनीतिक दलों को पार्टी लाइनों से हटकर बोलना चाहिए.