पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामनवमी के मौके पर हुई हिंसा से सियासी पारा हाई है. तनाव को देखते हुए हावड़ा साउथ इलाके में धारा-144 लागू है. इसी बीच हावड़ा पुलिस ने एक लेटर जारी कर बताया है कि वीएचपी और अंजनी पुत्र सेना (Anjani Putra Sena) को उस रूट पर जाने की अनुमति ही नहीं दी गई थी, जहां उन्होंने रैली निकाली थी. ये लेटर 21 मार्च का है. इस पर शोभा यात्रा के संयोजक एवं वीएचपी नेता इंद्रदेव दुबे ने पलटवार किया है.
दस वर्षों से इसी रूट से निकल रही है यात्रा- इंद्रदेव दुबे
इंद्रदेव दुबे ने कहा कि पिछले दस वर्षों से 6 किलोमीटर के इसी रूट से यात्रा निकल रही है. यात्रा से पहले हमने रास्ते में पड़ने वाले सभी थानों, पुलिस कमिश्नर ऑफिस और अन्य संबंधित लोगों को लिखित रूप से सूचित कर दिया था. इसमें रूट के बारे में बता दिया गया था. इस दौरान हमने विशेष रूप से उस 100 मीटर क्षेत्र में रहने का अनुरोध भी किया था, जहां पिछले साल भी पथराव हुआ था.
पुलिस से परमिशन ही नहीं ली गई- अभिषेक बनर्जी
इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी का कहना है कि जुलूस को लेकर पुलिस से परमिशन ही नहीं ली गई थी. जुलूस के आयोजकों ने अनुमति के लिए आवेदन किया था, जिसके दस्तावेज उन्होंने दिखाए थे, लेकिन सूचना या आवेदन अनुमति देने के लिए पर्याप्त नहीं थे. इसी वजह से पुलिस ने उनसे कुछ शर्तों का पालन करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं, इस हिंसा के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि यात्रा में शामिल लोग उस क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे, जहां अनुमति देने से इनकार किया गया था.
शोभायात्रा के दौरान हुई थी हिंसक झड़प
बता दें कि हावड़ा और उत्तरी दिनाजपुर जिले में गुरुवार को शोभायात्रा के दौरान हिंसक झड़प हुई थी. इसके अलावा इस्लामपुर शहर के डालखोला में भी हिंसा की घटना सामने आई. हावड़ा के शिबपुर में दो गुटों में जमकर पत्थरबाजी हुई, जिसके वीडियो भी वायरल हो रहे हैं.
इनमें घर की छतों से कुछ लोग शोभायात्रा पर पत्थर फेंकते दिख रहे हैं. इसके बाद शोभायात्रा में शामिल भीड़ ने भी पत्थर फेंके. भीड़ ने आसपास के वाहनों और दुकानों में आगजनी की. शिबपुर में विश्व हिंदू परिषद और बंजरग दल ने शोभायात्रा निकाली थी.
हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. कहा, वे सांप्रदायिक दंगों के लिए राज्य के बाहर से गुंडे बुलाते रहे हैं. उनके जुलूसों को किसी ने नहीं रोका लेकिन उन्हें तलवारें और बुलडोजर लेकर मार्च करने का अधिकार नहीं है.