राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा है कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पहली वर्षगांठ को 'प्रतिष्ठा द्वादशी' के रूप में मनाया जाना चाहिए. जो कि भारत की सच्ची स्वतंत्रता का प्रतीक है, क्योंकि सालों से आक्रमणकारियों का हमला झेला है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख ने जोर देकर कहा कि यह आंदोलन भारत के खुद को जगाने के लिए शुरू किया गया था, ताकि देश अपने पैरों पर खड़ा हो सके और दुनिया को रास्ता दिखा सके. राम मंदिर आंदोलन किसी के विरोध के लिए शुरू नहीं किया गया था.
भागवत ने बताया कि पिछले साल अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान देश के अंदर कोई भी मतभेद नहीं था. आरएसएस चीफ ने ये बातें चंपत राय को राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार दिए जाने के बाद कहीं हैं.
आंदोलन से जुड़े लोगों को समर्पित किया पुरस्कार
इंदौर में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार प्रदान किया गया है. पुरस्कार प्राप्त करने के बाद राय ने घोषणा की कि वह यह सम्मान राम मंदिर आंदोलन के सभी ज्ञात और अज्ञात लोगों को समर्पित कर रहे हैं, जिन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया और मदद की.
आंदोलन के संघर्षों का जिक्र करते हुए राय ने कहा कि मंदिर राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक था और वह इसके निर्माण के लिए सिर्फ एक माध्यम थे.
राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है जो हर साल इंदौर स्थित सामाजिक संगठन, अहिलोत्सव समिति द्वारा सामाजिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और बीजेपी की दिग्गज नेता सुमित्रा महाजन इस संगठन की अध्यक्ष हैं.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में 22 जनवरी, 2024 को भव्य अयोध्या मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की. हालांकि, हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, 11 जनवरी, 2025 को एक साल पूरे हो गए.