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'मैं जवाब के लिए तैयार...', भगवान राम को मांसाहारी बताने वाले जितेंद्र को रामभद्राचार्य का चैलेंज

एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड को रामभद्राचार्य ने चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि चैलेंज देता हूं कि मुझसे शास्त्रार्थ कर लें. मेरे पास आकर चर्चा करें, मैं जवाब के लिए तैयार हूं. मैं जगतगुरु हूं, ये सिंहासन सिंह का आसान है, गीदड़ों का नहीं. मेरा जन्म जौनपुर में हुआ है. जौनपुर की माताएं सिंह को जन्म देती हैं.

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एनसीपी विधायक जितेंद्र और जगद्गुरु रामभद्राचार्य.
एनसीपी विधायक जितेंद्र और जगद्गुरु रामभद्राचार्य.

एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड भगवान राम को मांसाहारी बताकर बुरी तरह फंस गए हैं. उनके बयान से सड़क से लेकर सियासी गलियारों तक घमासान मचा हुआ है. माफी मांगने के बाद भी उनको विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इसी कड़ी में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने उनको चेतावनी दी है.

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रामभद्राचार्य ने कहा, जितेंद्र को खुला चैलेंज देता हूं कि मुझसे शास्त्रार्थ कर लें. मेरे पास आकर चर्चा करें, मैं जवाब के लिए तैयार हूं. मैं जगतगुरु हूं, ये सिंहासन सिंह का आसान है, गीदड़ों का नहीं. मेरा जन्म जौनपुर में हुआ है. जौनपुर की माताएं सिंह को जन्म देती हैं. मैं प्रमाण देता हूं कि भगवान राम मांस नहीं खाते थे और न हीं मदिरा पीते थे.

उन्होंने आगे कहा, ये बयान शरारतपूर्ण है. भगवान राम शाकाहारी थे. सुंदरकांड में हनुमान जी सिताजी से कहते हैं कि रघुकुल का कोई व्यक्ति मांस नहीं खाता. इसका उत्तरकांड में प्रमाण है. वनवास में वो कंदमूल फल खाते थे. उन्होंने नमक से मिश्रित भोजन भी नहीं किया तो मांसाहार क्यों करेंगे.

बता दें कि शरद पवार गुट के एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया था. जितेंद्र आव्हाड ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि राम हमारे हैं और वह बहुजन हैं. राम शाकाहारी नहीं, मांसाहारी थे. वो शिकार करके खाते थे. उनके इस बयान को लेकर बीजेपी और अजित गुट के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी. अजित गुट की एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने मुंबई में आव्हाड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

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इसके बाद जितेंद्र आव्हाड ने माफी मांगी. उन्होंने कहा कि कभी-कभी गलती हो जाती है. इस मुद्दे को तूल नहीं देना चाहते थे लेकिन वाल्मिकी रामायण में कई कांड हैं, जिनमें अयोध्या कांड भी है. इसमें श्लोक नंबर 102 है, जिसमें इसका जिक्र है. आव्हाड ने कहा, 'मैं बिना रिसर्च कुछ नहीं बोलता. मैं मुद्दे को तूल नहीं देना चाहता लेकिन मेरी बात से किसी को ठेस पहुंची है तो माफी मांगता हूं. खेद व्यक्त करता हूं. कभी-कभी गलती हो जाती है.

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