रामनवमी पर शोभायात्रा के दौरान आठ राज्यों के अलग-अलग शहरों में हुई हिंसा के मामले में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया तो याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता इस अर्जी के साथ हाईकोर्ट जा सकते हैं. शीर्ष अदालत में रामनवमी पर हिंसा का मामला 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' की ओर से ले जाया गया था. इस याचिका में जुलूस के दौरान हुए दंगों की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी.
राज्यों के मुख्य सचिवों से रिपोर्ट तलब करने की मांग
पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, तेलंगाना और गुजरात में 30 मार्च को रामनवमी के दिन निकले जुलूस में दंगों पर कार्रवाई करने के लिए आदेश देने की मांग की गई थी. इन दंगों में घायल होने वाले लोगों और उनकी संपत्ति को हुए नुकसान का हर्जाना देने की मांग की गई थी. इसके अलावा हिंसा प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिवों से रिपोर्ट तलब करने की मांग भी अर्जी में थी.
हिंसा फैलाने वालों से ही वसूली की मांग
याचिका मे कहा गया है कि जिन लोगों पर हिंसा फैलाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है उनसे ही हर्जाना भी वसूला जाए. राज्य सरकारों को ये निर्देश दिया जाए कि किसी भी इलाके को सिर्फ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बताकर हिंदुओं की शोभायात्राओं और जुलूसों को अनुमति देने से ना रोका जाए.
बिहार से बंगाल तक हुई हिंसा
रामनवमी के दिन पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार तक हिंसा देखने को मिली थी. बंगाल के हावड़ा और हुगली में तो स्थिति ज्यादा बिगड़ गई थी. ना सिर्फ पथराव हुआ था, बल्कि बड़े स्तर पर आगजनी भी की गई. इसी तरह बिहार के नालंदा में भी हिंसा बड़े स्तर पर हुई. महाराष्ट्र के संभाजीनगर, गुजरात के वडोदरा समेत कई जगहों पर सुरक्षा बढ़ाते हुए कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया.