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'पहली और आखिरी बार...', रणवीर इलाहबादिया और अपूर्वा मखीजा ने महिला आयोग से मांगी माफी

इंडियाज गॉट लैटेंट के एक एपिसोड में इलाहबादिया द्वारा पूछे गए एक सवाल पर विवाद शुरू हुआ, जिसमें वे आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह और अपूर्वा मुखीजा के साथ जज के रूप में शामिल हुए थे. इस एपिसोड में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया, जिसके बाद इलाहबादिया, कॉमेडियन समय रैना, मखीजा और शो के निर्माताओं के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए कई शिकायतें दर्ज की गईं.

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रणवीर इलाहबादिया और अपूर्वा मखीजा
रणवीर इलाहबादिया और अपूर्वा मखीजा

पॉडकास्टर और यूट्यूबर रणवीर इलाहबादिया, कंटेंट क्रिएटर अपूर्वा मखीजा और इंडियाज गॉट लैटेंट के दो निर्माताओं ने शो में अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) से लिखित माफी मांगी है. चारों गुरुवार को NCW के सामने पेश हुए, जहां उन्होंने अपनी भाषा के लिए खेद व्यक्त किया और स्वीकार किया कि यह अनुचित था और भविष्य में अधिक सावधान रहने का आश्वासन दिया.

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एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजया राहतकर ने इस मामले पर बात करते हुए कहा, "शो में इस्तेमाल की गई अश्लील भाषा बिल्कुल अभद्र है. आयोग इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा, न ही लोग. सामाजिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हमने तुरंत संज्ञान लिया और उन्हें नोटिस जारी किया. जब वे आयोग के सामने पेश हुए, तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की, माफी मांगी और आश्वासन दिया कि ऐसी घटना फिर नहीं होगी. उन्होंने कहा कि वे बोलने से पहले सोचेंगे. यह पहली और आखिरी बार था जब उन्होंने ऐसा किया."

भले ही इलाहबादिया और उनके साथी पैनलिस्ट ने एनसीडब्ल्यू से माफ़ी मांगी है, लेकिन उनके लिए कानूनी परेशानी जारी है. आयोग के सामने पेश होने के बाद वे गुवाहाटी गए और अपराध शाखा के साथ अपना बयान दर्ज कराया. यह उनके खिलाफ गुवाहाटी पुलिस ने विवादास्पद टिप्पणी को लेकर केस दर्ज किया था.

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बता दें कि इंडियाज गॉट लैटेंट के एक एपिसोड में इलाहबादिया द्वारा पूछे गए एक सवाल पर विवाद शुरू हुआ, जिसमें वे आशीष चंचलानी, जसप्रीत सिंह और अपूर्वा मुखीजा के साथ जज के रूप में शामिल हुए थे. इस एपिसोड में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया, जिसके बाद इलाहबादिया, कॉमेडियन समय रैना, मखीजा और शो के निर्माताओं के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए कई शिकायतें दर्ज की गईं. यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा, जिसने सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर जोर दिया कि ऑनलाइन सामग्री सभी के लिए मुफ़्त प्लेटफ़ॉर्म नहीं हो सकती.

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