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रफ्तार का शिकार हो रहा है इंडिया, हर घंटे दुर्घटना में 18 मौतें, 48 हादसे

एनसीआरबी के आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि ओवर स्पीडिंग का रोमांच मौत का सौदा बन रहा है. 2019 में कुल सड़क दुर्घटनाओं में 59.6 हादसे तेज गति से वाहन चलाने की वजह से हुए हैं. इसकी वजह से 365 दिनों में 86,241 लोगों की मौत हुई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो-पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओवर स्पीडिंग मौत की बड़ी वजह
  • एक साल में सड़क हादसों में 1.54 लाख की मौत
  • साल 2019 में 4.37 लाख दुर्घटनाएं

भारत में सड़क दुर्घटनाएं 'किलर' साबित हो रही हैं. रोड एक्सीडेंट की वजह से हर साल हजारों लोग काल के गाल में समा रहे हैं. भारत में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े डरावने हैं. यहां पर हर घंटे सड़क हादसे में 18 लोगों की मौत हो रही है. जबकि देश में हर 60 मिनट में सड़क हादसे रिपोर्ट किए जा रहे हैं. 

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इन आंकड़ों को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने जारी किया है. एनसीआरबी के मुताबिक देश में साल 2019 में 4,37,396 सड़क दुघर्टनाएं हुईं, इन हादसों में 1,54,732 लोगों की मौत हुई जबकि 4,39,262 अन्य लोग घायल हुए. 

किलर बन गई है ओवर स्पीडिंग

एनसीआरबी के आंकड़ों का अगर हम विश्लेषण करें तो पाते हैं कि देश में हर घंटे 18 लोग सड़क हादसों में जान गंवा रहे हैं जबकि 48 दुर्घटनाएं हर 60 मिनट में हो रही है. 

एनसीआरबी के आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि ओवर स्पीडिंग का रोमांच मौत का सौदा बन रहा है. 2019 में कुल सड़क दुर्घटनाओं में 59.6 हादसे तेज गति से वाहन चलाने की वजह से हुए हैं. इसकी वजह से 365 दिनों में 86,241 लोगों की मौत हुई है. जबकि 2 लाख 71 हजार 581 लोग घायल हो गए. 

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साल दर साल बढ़ रहे आंकड़े

चिंता की बात ये है कि सड़क दुर्घटनाएं सरकारी कोशिशों को धता बताते हुए हर साल बढ़ रही हैं. वर्ष 2018 में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 1,52,780 थी, जबिक 2017 में ये आंकड़ा 1,50,093 था.

साल 2019 में भारत में आकस्मिक हादसों में कुल  4,21,959 लोगों की मौत हुई. इस आंकड़े में सड़क हादसे के अलावा, प्राकृतिक आपदा, मानवीय लापरवाही जैसी मौतें शामिल हैं. 2018 में इस कैटेगरी में मौत के आंकड़ों की संख्या 4,11,104 रही, जबकि 2017 में इस कैटेगरी में  3,96,584 लोगों की मौत हुई. 

टू व्हीलर्स की मौत सबसे ज्यादा

NCRB के आंकड़ों का अध्ययन बताता है कि 2019 में हुए कुल रोड एक्सीडेंट में 38 फीसदी पीड़ित दो पहिया वाहन चला रहे थे. इसके बाद नंबर आता है ट्रक या लॉरी (14.6%), कार (13.7%) और बस (5.9%) का. 

गृह मंत्रालय के तहत आंकड़े इकट्ठा करने वाली संस्था NCRB का आकलन है कि ओवरटेकिंग, खतरनाक अथवा लापरवाही से वाहन चलाने की वजह से 25.7 फीसदी हादसे हुए. इसकी वजह से 2019 में 42, 557 मौतें हुई और 1,06,555 लोग घायल हुए. खराब मौसम की वजह से मात्र 2.6 हादसे हुए.

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