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कचरा प्रबंधन के लिए केंद्र का बड़ा फैसला, कंपनियों को लेनी होगी पैकेज रिसाइक्लिंग की जिम्मेदारी, 2026 में लागू होगा नियम

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 6 दिसंबर, 2024 को कागज, कांच, धातु और स्वच्छता उत्पादों से निर्मित पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) नियमों का मसौदा अधिसूचित किया है. ये नियम 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होंगे, जिनका उद्देश्य पैकेजिंग कचरे के डिस्पोजल में सुधार लाना है.

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कचरा प्रबंधन पर केंद्र का बड़ा फैसला
कचरा प्रबंधन पर केंद्र का बड़ा फैसला

भारत सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय देश में कचरा प्रबंधन की स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है. इसके तहत 6 दिसंबर, 2024 को कागज, कांच, धातु और स्वच्छता उत्पादों से निर्मित पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) नियमों का मसौदा अधिसूचित किया गया है. ये नियम 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी हो जाएंगे.

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इन नए नियमों के तहत, उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों (PIBOs) की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने पैकेजिंग सामग्रियों के पूरे रीसाइक्लिंग का ध्यान रखें. इसमें कचरे का संग्रह, पुनर्चक्रण और सुरक्षित निष्पादन शामिल हैं. सरकार ने कचरा प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिए स्पष्ट लक्ष्यों को निर्धारित किया है, जिससे प्रदूषण कम हो सके और संसाधनों का संरक्षण हो.

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टिकाऊ पैकेजिंग डिजाइन के इस्तेमाल को मिलेगा बढ़ावा

मसौदा नियमों के मुताबिक, पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए पुनर्नवीनीकरण और टिकाऊ पैकेजिंग डिजाइन के उपयोग को प्रोत्साहन दिया गया है. इसमें इको-फ्रेंडली सामग्रियों को अपनाने पर विशेष जोर दिया गया है और रीसाइक्लिंग की नई तकनीकों को प्रोत्साहित किया गया है. ये नियम प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के साथ भी संगत हैं और स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्यों को मजबूती देते हैं.

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कंपनियों को रखना होगा रीसाइक्लिंग का लेखा-जोखा

रिपोर्टिंग और अनुपालन की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, उत्पादकों को अपने अपशिष्ट प्रबंधन के प्रयासों और रिसाइटकलिंग लक्ष्यों का लेखा-जोखा रखना होगा. यह नियम न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षा के प्रति उत्तरदायित्व को मजबूती देगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजन करेगा.

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इसके साथ ही, औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों को साथ लेकर भारत की अपशिष्ट प्रबंधन चुनौतियों का समाधान करने का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है. ये नए नियम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और स्वच्छता में सुधार की दिशा में देश कदम बढ़ा रहा है.

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