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आजादी के बाद से अब तक कितना बदल गई Indian Army की ड्रेस, Republic Day Parade में दिखेगी झलक

इस ‌साल सेना के तीनों अंगों और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के कुल 16 मार्चिंग दस्ते राजपथ पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री सहित सभी गणमान्य व्यक्तियों के सामने मार्च पास्ट करेंगे.

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फोटो साभारः PTI
फोटो साभारः PTI
स्टोरी हाइलाइट्स
  • परेड में कुल 16 मार्चिंग दस्ते होंगे शामिल
  • राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के सामने मार्च पास्ट करेंगे

73वें गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade) में इस ‌साल भारतीय सेना की ताकत तो दिखाई देगी ही साथ वक्त के साथ कैसे सेना की वर्दी बदल गई है इसकी झलक भी देखने को मिलेगी. भारतीय सेना के जवान इस साल गणतंत्र दिवस परेड में 1950 से आज तक सेना द्वारा पहनी जाने वाली विभिन्न वर्दी में मार्च करते हुए दिखाई देंगे. 

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परेड में सेना के जवान 1950, 1960, 1970 के दशक में पहनी जाने वाली ऑलिव ग्रीन और इसी साल सेना को दी गई कॉम्बेट यूनिफॉर्म पहनकर मार्च करेंगे. जानकारी के मुताबिक, राजपूत रेजीमेंट के जवान 1950 से वर्दी पहनकर, 303 राइफल के साथ मार्च करते नजर आएंगे. इसके बाद असम रेजीमेंट के जवान 1960 में पहने जाने वाली वर्दी में 303 राइफलों के साथ मार्च करेंगे.

वहीं, जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री (JAKLI) के सैनिक 1970 की वर्दी में 7.62 मिमी राइफल के साथ नजर आएंगे. सिख लाइट इन्फैंट्री (SIKHLI) और आर्मी ऑर्डनेंस के सैनिक इंसास राइफलों के साथ ऑलिव ग्रीन ड्रेस में नजर आएंगे. वहीं, सेना की नई कॉम्बेट यूनिफॉर्म को पैराशूट रेजीमेंट के सैनिकों द्वारा पहना जाएगा, जिनके पास टैवर राइफल होगी. 

दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल आलोक काकर ने कहा कि इस ‌साल सेना के तीनों अंगों और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के कुल 16 मार्चिंग दस्ते राजपथ पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री सहित सभी गणमान्य व्यक्तियों के सामने मार्च पास्ट करेंगे. इसमें भारतीय सेना से 6, नौसेना और वायु सेना से एक-एक, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के 4, दिल्ली पुलिस से 2 राष्ट्रीय कैडेट कोर और एनएसएस से एक मार्चिंग दस्ते को गणतंत्र परेड में शामिल किया जाएगा.

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बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी से एबाइड विद मी को हटाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हमारा चार्टर कार्यक्रम आयोजित करना है, धुनों के चयन पर टिप्पणी नहीं कर सकता.' राजपथ पर शुरू किए जाने वाले सिस्टम में 1965 और 1971 में इस्तेमाल किए गए पीटी 76 और सेंचुरियन जैसे पुराने प्लेटफॉर्म, धनुष गन सिस्टम जैसे आधुनिक लोगों के लिए अर्जुन टैंक युद्ध शामिल होंगे.

 

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