भारत आज 26 जनवरी को 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. गणतंत्र दिवस पर इस बार कर्तव्य पथ देश ने इतिहास बनते देखा. पहली बार आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परेड की सलामी ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई 2022 को देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की रहने वाली हैं. वे इससे पहले झारखंड की राज्यपाल भी रही हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी कर्तव्य पथ पर पहुंचीं. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तिरंगा फहराया. इसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान हुआ. इसके बाद परेड की शुरुआत हुई. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परेड की सलामी ली.
राष्ट्रपति बनने वालीं दूसरी महिला
द्रौपदी मुर्मू आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली और सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं. द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था. 25 जुलाई को उनकी उम्र 64 साल 1 महीना और 8 दिन होगी. इससे पहले यह रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के नाम था. जब वह राष्ट्रपति बने तो उनकी उम्र 64 साल दो महीने और 6 दिन थी.
मुर्मू राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला भी हैं. द्रौपदी मुर्मू ने 1994 से 1997 के बीच रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेल एजुकेशन एंड रिसर्च में एक शिक्षिका के रूप में काम किया. 1997 में उन्होंने अधिसूचित क्षेत्र परिषद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. एक शिक्षिका के रूप में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में अलग-अलग विषयों को पढ़ाया.
पति-बेटों के निधन के बाद घर को स्कूल बना दिया
द्रौपदी मुर्मू का जन्म मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है. वह आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं. वह कुसुमी तहसील के छोटे से गांव उपरबेड़ा में स्थित एक छोटे से स्कूल से पढ़ी हैं. भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की. द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था. दंपति के दो बेटे और एक बेटी हुई, लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया. द्रौपदी मुर्म के पति और 2 बेटों का निधन हो जाने के बाद उन्होंने अपने घर को एक बोर्डिंग स्कूल में बदल दिया. जहां आज भी स्कूल संचालित किया जाता है.
टीचर के बाद सरकारी विभाग में क्लर्क बन गईं
मुर्मू ने एक टीचर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और फिर उन्होंने ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के पद पर भी नौकरी की. मुर्मू ने नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर खर्च चलाया और बेटी इति मुर्मू को पढ़ाया-लिखाया. बेटी ने भी कॉलेज की पढ़ाई के बाद एक बैंक में नौकरी हासिल कर ली.
1997 में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की
द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आगाज किया था. उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया. साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक बनीं. ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया. मुर्मू ने 2014 का विधानसभा चुनाव रायरंगपुर से लड़ा था, लेकिन वह बीजद उम्मीदवार से हार गई थी.