अगर आप रेस्टोरेंट या होटल में खाना खाने के शौकीन हैं, तो आपके लिए 4 जुलाई को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा अहम आदेश जारी किया था. CCPA ने गाइडलाइन के जरिए रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगाई थी. लेकिन अब यह मामला कोर्ट पहुंच गया है. दरअसल, नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक संबंधी गाइडलाइन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. NRAI ने CCPA की गाइडलाइन को रद्द करने की मांग की है.
दरअसल, 4 जुलाई को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने गाइडलाइन जारी की थी. इसके मुताबिक, होटल और रेस्टोरेंट बिल में सर्विस चार्ज नहीं जोड़ सकते. लेकिन ग्राहक की मर्जी होगी तो वे स्वइच्छा से सर्विस चार्ज का भुगतान कर सकते हैं. जस्टिस यशवंत वर्मा ने NRAI की याचिका को सुनवाई के लिए 20 जुलाई को लिस्टेड किया है.
'तीन तरह के रेस्टोरेंट'
NRAI और अन्य की ओर से वकील नीना गुप्ता और अनन्या मारवाह ने याचिका दायर की है. इसमें केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा होटल और रेस्टोरेंट द्वारा वसूले जाने वाले सर्विस चार्ज पर रोक के संबंध में 'अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन' के लिए जारी गाइडलाइन को रद्द करने की मांग की है.
वरिष्ठ वकील ललित भसीन ने तर्क दिया कि रेस्टोरेंट की तीन श्रेणियां होती हैं. पहली जो सर्विस चार्ज नहीं वसूलते. दूसरा जो कस्टमर की सहमति के बिना सेवा शुल्क वसूलते हैं. वहीं, तीसरे ऐसे हैं, जो सर्विस चार्ज लेते हैं और इसका जिक्र उनके मीनू में भी होता है.
ललित भसीन ने कोर्ट से मांग की है कि CCPA की गाइडलाइन, जो रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज लेने से रोकती है को तीसरे श्रेणी के रेस्टोरेंट पर लागू नहीं होना चाहिए. जो मीनू पर सर्विस चार्ज का जिक्र करते हैं. भसीन ने कहा, सर्विस चार्ज की दर कीमत के मुताबिक होती है. यह अलग अलग हो सकती है. सर्विस चार्ज हमेशा रेस्टोरेंट में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए होता है.
CCPA ने 4 जुलाई को ही इसे लेकर गाइडलाइन जारी की थी. वहीं, इस मामले में सीसीपीए ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है. कोर्ट ने CCPA को गुरुवार को पूरे निर्देश के साथ आने को कहा है. इतना ही नहीं याचिका में कहा गया है कि सर्विस चार्ज लेना 80 साल से भी ज्यादा पुरानी प्रथा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने 1964 में वेंगर के प्रबंधन के मामले में भी इस पर ध्यान दिया था.
याचिका में क्या क्या तर्क दिए गए?
याचिका में कहा गया है कि देश में ऐसा कोई भी कानून नहीं है जो रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज वसूलने से रोकता हो. न ही ऐसा कोई प्रावधान है, जो सर्विस चार्ज को अवैध बताता हो. ऐसे में इस गाइडलाइन को सरकार के आदेश के रूप में नहीं माना जा सकता.
याचिका के मुताबिक, सर्विस चार्ज के मुद्दे के व्यापक प्रचार से रेस्तरां मालिकों में भय का माहौल पैदा हो गया है और जनता के मन में गलत धारणा बन गई है. इतना ही नहीं रेस्टोरेंट के सुचारू कामकाज और व्यवसाय पर भी गलत प्रभाव पड़ा है. इतना ही नहीं याचिका में कहा गया है कि सर्विस चार्ज लगाने के पीछे सामाजिक-आर्थिक वजह भी है.
सर्विस चार्ज प्रणाली यह करती है कि रेस्टोरेंट में काम करने वाले सभी कर्मचारियों में सर्विस टैक्स का वितरण व्यवस्थित और तार्किक हो, न कि सिर्फ कस्टमर की सेवा करने वाले कर्मचारी को यह मिले. इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि इसका लाभ सभी कर्मचारियों को मिले, जिसमें यूटिलिटी और बैक एंड स्टाफ भी शामिल है. सर्विस चार्ज एक व्यापारिक प्रथा है. यूके, सिंगापुर, जापान और यूएसए जैसे देशों में 8 से 12.5 प्रतिशत के बीच तक सर्विस चार्ज लगाया जाता है.
अगर गाइडलाइन रद्द हुई, तो हम पर क्या असर होगा?
CCPA की नई गाइडलाइन कस्टमर के लिए काफी अहम मानी जा रही थी. दरअसल, जब आप रेस्टोरेंट या होटल में खाना खाते हैं, तो खाना परोसने या अन्य सेवा के लिए आपसे सर्विस चार्ज लिया जाता है. यह बिल पर लिखा होता है. रेस्टोरेंट पूरे बिल का 10 परसेंट तक सर्विस चार्ज वसूलते हैं. होटल या रेस्टोरेंट का दावा होता है कि यह पैसा स्टाफ पर खर्च होता है. हालांकि, CCPA की नई गाइडलाइन के बाद कस्टमर के लिए राहत मानी जा रही थी कि रेस्टोरेंट उनसे जबरन सर्विस चार्ज नहीं वसूल पाएंगे. लेकिन अगर हाईकोर्ट सर्विस चार्ज से संबंधी गाइडलाइन रद्द कर देता है, तो एक बार फिर रेस्टोरेंट सर्विस चार्ज के तौर पर मनमानी वसूली करेंगे.