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आरजी कर केस: प्रदर्शन के दौरान गैर हाजिर रहे डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट से राहत

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने डॉक्टरों के एक संगठन की दलीलों पर गौर किया कि कुछ अस्पतालों ने 22 अगस्त, 2024 के आदेश के बाद डॉक्टरों की अनुपस्थिति को नियमित कर दिया था, लेकिन एम्स दिल्ली समेत कुछ अन्य ने इस अवधि को अनुपस्थिति की छुट्टी मानने का फैसला किया.

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सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों को डॉक्टरों के संबंध में आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों को डॉक्टरों के संबंध में आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एम्स नई दिल्ली समेत अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे उन डॉक्टरों की अनधिकृत अनुपस्थिति को नियमित करें जो कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे.

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मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने डॉक्टरों के एक संगठन की दलीलों पर गौर किया कि कुछ अस्पतालों ने 22 अगस्त, 2024 के आदेश के बाद डॉक्टरों की अनुपस्थिति को नियमित कर दिया था, लेकिन एम्स दिल्ली समेत कुछ अन्य ने इस अवधि को अनुपस्थिति की छुट्टी मानने का फैसला किया.

सीजेआई ने कहा, "हम यह स्पष्ट करना उचित समझते हैं कि यदि प्रदर्शनकारी कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद काम पर आए हैं तो उनकी अनुपस्थिति को नियमित किया जाएगा और इसे ड्यूटी से अनुपस्थिति नहीं माना जाएगा. यह मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जारी किया गया है और यह कोई मिसाल नहीं है." 

पीटीआई के मुताबिक संस्था की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि विरोध अवधि को छुट्टी मानने का फैसला कुछ मेडिकल पीजी छात्रों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चूंकि मामला गैर-विरोधात्मक है, इसलिए अस्पताल शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन करेंगे. 

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मेहता ने कहा कि एम्स, दिल्ली ने इस अवधि को डॉक्टरों द्वारा ली गई छुट्टी के रूप में मानने का फैसला किया है. 

पीठ ने कहा, "पहले के आदेश में कहा गया था कि आदेश की तिथि तक विरोध करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई बलपूर्वक कदम नहीं उठाया जाएगा. इसके अनुसार कल्याणी और गोरखपुर जैसे कुछ एम्स और पीजीआई चंडीगढ़ ने अनुपस्थिति को नियमित कर दिया है. हालांकि कुछ अन्य संस्थानों ने उक्त अवधि को डॉक्टरों की छुट्टी के रूप में माना है." 

पिछले साल 22 अगस्त को पीठ ने देशभर में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से भावुक अपील की थी और उनसे काम पर लौटने को कहा था. यह देखते हुए कि न्याय और चिकित्सा को रोका नहीं जा सकता, इसने निर्देश दिया कि डॉक्टरों के काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

बता दें कि इस जघन्य अपराध ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया और पश्चिम बंगाल में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए. पीठ कोलकाता के अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी. 20 जनवरी को कोलकाता की एक निचली अदालत ने मामले में दोषी संजय रॉय को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

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पिछले साल 9 अगस्त को पोस्ट-ग्रेजुएट प्रशिक्षु डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार रूम में मिला था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने अपराध के सिलसिले में अगले दिन नागरिक स्वयंसेवक रॉय को गिरफ्तार कर लिया था.

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