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चावल खाने के लिए घरों और राशन दुकानों में घुस जाता था ये हाथी, अब बेड़ियां बांधकर जंगल में छोड़ा गया

केरल के इडुक्की के इलाके में लंबे समय से लोगों को आतंकित करने वाले हाथी अरिकोंबन से लोगों को फिलहाल मुक्ति मिल गई है. हाथी को पकड़ लेने के बाद विशेषज्ञों की देखरेख में उसे पेरियार अभयारण्य में ले जाकर छोड़ दिया गया है और उसकी हर हरकत पर नजर रखी जा रही है.

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चावल चुराने वाले 'अरिकोंबन' हाथी को घने जंगल में छोड़ा गया (प्रतीकात्मक तस्वीर)
चावल चुराने वाले 'अरिकोंबन' हाथी को घने जंगल में छोड़ा गया (प्रतीकात्मक तस्वीर)

केरल के इडुक्की में घरों और राशन की दुकानों में घुसकर चावल चुराने के लिए कुख्यात हाथी 'अरिकोंबन' को रविवार सुबह पेरियार टाइगर रिजर्व के अंदरूनी इलाकों में छोड़ दिया गया. एक वन अधिकारी ने बताया कि हाथी को रेडियो कॉलर लगाया हुआ है, जिससे उस पर निगरानी रखी जा रही है. चावल खाने के लिए यह हाथी दुकानों और घरों में घुस जाता था और कुछ लोगों की जान लेने के साथ-साथ कई घरों को भी नष्ट कर चुका था.

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एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'हमें रेडियो कॉलर से संकेत मिल रहे हैं. टाइगर रिजर्व से उसकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है. वह काफी स्वस्थ है.' हाथी को जंगल के अंदर छोड़ने का ऑपरेशन शनिवार सुबह तड़के शुरू हुआ और 12 घंटे से अधिक समय के बाद उसे पूरा किया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में वन कर्मी और चार कुमकी (प्रशिक्षित) हाथी शामिल थे. एक वन अधिकारी ने बताया कि अभियान के पहले दिन वे "भाग्यशाली नहीं' रहे.

घरों को पहुंचाया था नुकसान

अधिकारी ने बताया कि दूसरे दिन भाग्य ने उनका साथ दिया जब 'अरिकोंबन' के अलावा एक अन्य हाथी को भी लाया गया जिसे चावल खाना पसंद था. जंगल में छोड़ने से पहले उसे ट्रेंकुलाइज (इजेक्शन देकर शांत करना) किया गया. अधिकारियों ने बताया कि पहाड़ी जिले के अरिकोंबन ने जिन चिन्नकनाल और संथनपारा क्षेत्रों में लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाया था, वहां से उसे टाइगर रिजर्व ले जाने के दौरान काफी समय लगा क्योंकि बारिश के बाद सड़क पर कीचड़ आ गया था. 

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ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों ने बताया कि टाइगर रिजर्व के अंदरूनी हिस्सों में पहुंचने के बाद, ट्रक के बगल में एक रैंप बनाया गया था जिसे खोलकर हाथी को जंगल में छोड़ा गया. इसके बाद हाथी जंगल के अंदर चले गया. अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि अब हाथी मानव बस्तियों में नहीं घुसेगा. उन्होंने कहा कि हाथी की हर हरकत पर रेडियो कॉलर से प्राप्त संकेतों के माध्यम से निगरानी रखी जाएगी.

हुआ था ये विवाद

चिन्नकनाल में हाथी को बेहोश करने और कुमकी हाथी के रूप में प्रशिक्षित करने पर काफी विवाद भी हुआ था. पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने एर्नाकुलम जिले के कोडानाड हाथी प्रशिक्षण केंद्र में इसे छोड़ने के वन विभाग के कदम का विरोध किया था. उन्होंने केरल में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद विभाग के कदम पर रोक लगा दी थी.

इसके बाद, अदालत ने इस मुद्दे का अध्ययन करने और हाथी के भाग्य का फैसला करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी.  पैनल ने सुझाव दिया कि हाथी को एक जंगली क्षेत्र में छोड़ दिया जाए, जहां लोगों के साथ संघर्ष की कोई संभावना नहीं होगी.  समिति ने हाथी को परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया था. हालाँकि, इस कदम के विरोध में केरल सरकार ने अदालत के समक्ष एक वैकल्पिक स्थान का सुझाव दिया और इसे गुप्त रखने की गुजारिश की.

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