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'अमीर और अमीर हो रहा और गरीब और ज्यादा गरीब'...इस ट्रेंड की पीछे की कहानी समझिए

नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस यानी NSO के सर्वे के मुताबिक देश के टॉप 10 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास औसतन 1.5 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि भारत के शहरों में निचले वर्ग के परिवारों के पास औसतन सिर्फ केवल 2,000 रुपये की संपत्ति है. 

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अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई ( रॉयटर्स- सांकेतिक फोटो)
अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई ( रॉयटर्स- सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई
  • रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
  • कैसे दूर होगी ये समस्या, एक्सपर्ट ने बताया

भारत देश को लेकर एक बात काफी आम हो गई है. यहां पर अमीर  और ज्यादा अमीर हो जाता है और गरीब और ज्यादा गरीब होता दिख जाता है. मतलब विकास तो होता है, लेकिन सिर्फ अमीरों का. गरीबों को तो सिर्फ दो वक्त की रोटी मिल जाए, वो भी काफी रहता है. लेकिन फिर भी ये सवाल तो आता ही है कि जब गरीबी दूर करने के लिए सरकारों द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, फिर भी अमीर-गरीब के बीच ये खाई क्यों नहीं कम होती?

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अमीर-गरीब के बीच की खाई आंकड़ों में फंसी

नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस यानी NSO के सर्वे के मुताबिक देश के टॉप 10 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास औसतन 1.5 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि भारत के शहरों में निचले वर्ग के परिवारों के पास औसतन सिर्फ केवल 2,000 रुपये की संपत्ति है. तो सवाल ये कि जब अमीर और गरीब दोनों के वोट से गांव के प्रधान से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक को चुना जाता है. तो फिर अमीर और अमीर और गरीब बेहद गरीब होता जाता है. एक्सपर्ट इसके लिए बेरोजगारी को बड़ी वजह मानते हैं. 

SBI की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संकट में 2018 के मुकाबले 2021 में आम आदमी का कर्ज दोगुना हो चुका है. अमीरों और गरीबों की संपत्ति में फैलते फर्क को लेकर सरकारी सर्वे कहता है कि भारत की 10 प्रतिशत सबसे अमीर आबादी देश की आधी से भी ज्यादा संपत्ति की मालिक है. वहीं 50 प्रतिशत आबादी के पास देश की 10 प्रतिशत से भी कम संपत्ति है.और इसका एक बड़ा कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सरकारी नीतियों का ढीलापन है. जहां लोग गांव छोड़कर मजदूरी करने शहर आते हैं. असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं.

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गडकरी ने बता दी बड़ी बात

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इस बात को स्वीकार करते हैं. उनकी नजरों में गांव से शहरों की तरफ पलायन भी इसी वजह से होता है. उनका कहना है कि ये लोग शहरों में क्यों आ रहे हैं, वहां की झुग्गी झोपड़ी में क्यों रह रहे हैं, क्या खुशी से आ रहे हैं, गांवों में जाने के लिए रोड नहीं, पीने के लिए पानी नहीं, स्कूल की हालत ऐसी है कि अगर स्कूल की बिल्डिंग है तो टीचर नहीं, टीचर है तो बिल्डिंग नहीं, दोनों हैं तो विद्यार्थी नहीं, तीनों हैं तो पढ़ाई नहीं.

ऐसा ही चलता रहा, भविष्य कैसा होगा?

अब अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई पर कई एक्सपर्ट चिंता जाहिर करते हैं. आर्थिक मामलों के जानकार  शरद कोहली के मुताबिक लंबे समय में समाज में अपराध और ज्यादा बढ़ सकता है.सोशल अनरेस्ट भी देखने को मिल सकता है. ये सब इसलिए होगा क्योंकि अमीर जरूर हर सुविधा का लुत्फ उठाएगा लेकिन गरीब अपनी परेशानियों की वजह से और ज्यादा दबता चला जाएगा और फिर जुर्म का रास्ता अपना लेगा. 

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