दिल्ली-एनसीआर में अब हाथ, पैर और मुंह की बीमारी (Hand, foot and Mouth disease) तेजी से फैल रही है. इस बीमारी की चपेट में बच्चे आ रहे हैं. इसमें बच्चों के हाथ, पैर और मुंह में छाले पड़ जाते हैं. ये बीमारी मुख्य तौर पर 7 साल से छोटे बच्चों पर असर डाल रही है. ये बीमारियां संक्रमित व्यक्ति के स्लाविया या अन्य रिसाव, नाक और गले के डिस्चार्ज या संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैल सकती हैं. इनका मुख्य कारण कॉक्ससैकीवायरस के स्ट्रेन हैं.
संक्रमित लोगों में बुखार, खराब गला या गले में खराश, भूख ना लगना, मुंह के आसपास या हथेली, तलवों, हाथ और पैर में छाले हो सकते हैं. कई बार छाले Butt पर भी दिख सकते हैं. हाथ, पैर और मुंह की बीमारी आम तौर पर दुनिया के सभी देशों में सामने आ चुकी है. डेकेयर केंद्रों, स्कूलों, ग्रीष्मकालीन शिविरों, अस्पताल के वार्डों, सैन्य प्रतिष्ठानों, समुदायों में इसके केस मिल रहे हैं. शुरुआती इंफेक्शन के बाद लक्षण तीन से 6 दिन में दिखने लगते हैं.
सर गंगाराम हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञ धीरेन गुप्ता के मुताबिक, हाथ, पैर और मुंह की बीमारी में आम तौर पर मुंह और गले में दर्द की शिकायत मिलती है. बच्चे खाना खाने से इंकार करते हैं. हल्का बुखार भी आत है. शुरुआत में दाने निकलते हैं. बाद में ये छाले जैसे होने लगते हैं. त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं. ये छाले हाथ, पैर और मुंह में होते हैं.
डॉ धीरेन गुप्ता के मुताबिक, सिर्फ एंटरोवायरस की वजह से होने वाले HFMd को छोड़कर शायद ही किसी मरीज को गंभीर दिक्कत देखने को मिलती है. यह माइल्ड क्लीनिकल सिंड्रोम है. आम तौर पर 7 से 10 दिन में लक्षण और निशान खत्म हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि बच्चा अगर सुस्त है, उसे लगातार उल्टी हो रही है. लगातार 3 दिन से अधिक समय तक 100 डिग्री से अधिक बुखार आ रहा है, तो उसमें यह बीमारी हो सकती है.
कैसे होता है इलाज?
इस बीमारी से संक्रमित बच्चे की हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ सकती है. हालांकि, अभी इसकी कोई स्पेशल एंटीवायरल इलाज मौजूद नहीं है. हालांकि, बच्चों को लक्षणों के हिसाब से दवा दी जाती है. आम तौर पर इसके लक्षण 7 से 10 दिन में खत्म हो जाते हैं.