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सड़क हादसों पर ब्रेक लगाएगी यह डिवाइस, दुर्घटना होने से पहले ड्राइवर को ऐसे करेगी अलर्ट

सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) की वैज्ञानिक मुक्ति आडवाणी के मुताबिक, ‘यह नई तरह की सुरक्षा प्रणाली है, जो आपात स्थिति में अलार्म के जरिए ड्राइवर को सचेत करेगी. साथ में रेड लाइट के जरिए ड्राइवर को खतरा बताती रहेगी.’

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रोड सेफ्टी डिवाइस (इनसेट)
रोड सेफ्टी डिवाइस (इनसेट)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दुर्घटना होने से पहले ही बजेगा अलार्म
  • डिवाइस से ऐसे बचेगी लोगों की जान

Road Safety Device News: देश में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं. इन सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) ने नागपुर में एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. जिसके तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से सड़क दुर्घटनाओं को कम करने की योजना है. इसके लिए वाहन की विंडशील्ड पर कैमरे और स्क्रीन लगाई गई है जिससे सेंसर के जरिए आसपास की जा रही गलत ड्राइविंग की जानकारी ड्राइवर को मिल जाती है.

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सीआरआरआई की वैज्ञानिक मुक्ति आडवाणी के मुताबिक, ‘यह नई तरह की सुरक्षा प्रणाली है, जो आपात स्थिति में अलार्म के जरिए ड्राइवर को सचेत करेगी. साथ में रेड लाइट के जरिए ड्राइवर को खतरा बताती रहेगी.’

अगर सरल शब्दों में समझें तो यह एक तरह की सेफ्टी डिवाइस है जिस भी वाहन में यह लगी होगी. उस वाहन के करीब जैसे ही कोई दूसरा वाहन आएगा. इस डिवाइस को लगेगा की हादसा हो सकता है तो यह तुरंत अलर्ट जारी करेगी. साथ ही हादसे का खतरा होने पर वीडियो अलर्ट भी जारी होगा. डिवाइस के जरिए ‘ग्रे स्पॉट’ तैयार किए जा रहे हैं. जिन जगहों पर एक्सीडेंट के चांसेज ज्यादा होते है. उसे ‘ग्रे स्पॉट’ की लिस्ट में शामिल किया जाता है.

सीआरआरआई साइंटिस्ट मुक्ति आडवाणी ने बताया कि अभी हमने करीब 350 ड्राइवर्स को इस डिवाइस की ट्रेनिंग दी है. भविष्य में चाहते हैं कि यह डिवाइस ही वाहन में लगे. यह डिवाइस हादसा होने से पहले ड्राइवर को अलार्म देती है कि तुरंत रिएक्ट किया जाए नहीं तो एक्सीडेंट हो सकता है. 

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पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह डिवाइस नागपुर में अभी 150 बसों में लगाई गई है. इसके बाद मॉनिटरिंग की जा रही है कि आखिर किस तरह से यह डिवाइस सड़क हादसों को रोकने में मददगार साबित हो रही है. उसके बाद दूसरे राज्यों के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित यह प्रणाली लागू की जाएगी. वहीं, अगर इस प्रोजेक्ट के नतीजे अच्छे रहते हैं तो भविष्य में और वाहनों के हिसाब से इस डिवाइस को उसमें लगाया जाएगा.


 

 

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