राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह (महासचिव) दत्तात्रेय होसबले ने कहा है कि देश में पंच परिवर्तन लागू करके सामाजिक परिवर्तन लाना संगठन के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है. ऑर्गेनाइजर और उसके सहयोगी प्रकाशन पांचजन्य के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, आरएसएस के 'पंच परिवर्तन' के विचार में समाज में 'समरसता' (बंधुत्व के साथ समानता), पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली, पारिवारिकता मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता, जीवन के सभी पहलुओं में 'भारतीय' मूल्यों पर आधारित 'स्व' की भावना पैदा करना और नागरिक कर्तव्यों के पालन के लिए सामाजिक जागृति पैदा करना शामिल है.
आरएसएस महासचिव ने कहा, 'पंच परिवर्तन आम तौर पर समाज की जरूरत है'. उन्होंने कहा, 'शताब्दी वर्ष (आरएसएस की स्थापना के सौ वर्ष) के संदर्भ में, हमने संगठनात्मक दृष्टिकोण से दो लक्ष्यों की पहचान की है- शाखाओं की संख्या बढ़ाना और इसमें की जाने वाली गतिविधियों में गुणात्मक सुधार करना. दूसरी बात, सामाजिक दृष्टिकोण से, हमने पंच परिवर्तन (पांच गुना परिवर्तन) का विषय सामने रखा है. हमारे उद्देश्यों में बौद्धिक आख्यान (Intellectual Narrative) को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से बदलना और सामाजिक परिवर्तन के लिए 'सज्जन शक्ति' (समाज की धार्मिक शक्ति) को संगठित करना शामिल है'.
आरएसएस 2025 में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करेगा
दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि आरएसएस के सभी सदस्यों से यह सामान्य लक्ष्य ध्यान में रखने की अपेक्षा की जाती है क्योंकि काम की गुणवत्ता बढ़ने से इसका प्रभाव भी बढ़ेगा. उन्होंने कहा, 'इसलिए, आरएसएस के शताब्दी वर्ष में, हमने संगठनात्मक और सामाजिक दोनों स्तरों पर इन सभी विषयों पर पहल करने की योजना बनाई है'. आरएसएस सरकार्यवाह ने कहा कि आज, राष्ट्रीय विचारों के प्रसार के लिए समय अनुकूल लग रहा है. हालांकि, यह अनुकूलता खाली बैठकर अच्छे समय का आनंद लेने के लिए नहीं है. यह प्रयासों के चरम पर पहुंचने का समय है. बता दें कि आरएसएस 2025 में अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करेगा.
'अपने-अपने स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना हमारा लक्ष्य'
देश में 19 अप्रैल से सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव पर आरएसएस नेता ने कहा, 'यह हमारे पंच परिवर्तन मिशन में भी शामिल किया गया है.' दत्तात्रेय होसबले ने कहा, हाल ही में नागपुर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों के लिए अपने समापन भाषण में, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लोकतंत्र की व्यवस्था में प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य पर जोर दिया था. उन्होंने कहा, 'प्रत्येक नागरिक को मतदान करने का अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए. हमें 100 प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना चाहिए. हमारा उद्देश्य अपने-अपने क्षेत्रों में काम करके लोकतंत्र को मजबूत करना है.'
'राष्ट्रीय मुद्दों को समाज के सामने लाने का यही सही समय है'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा, 'ऐसे समय में राष्ट्रीय मुद्दों को समाज के सामने लाना चाहिए और सामाजिक कल्याण, राष्ट्रीय एकता और भारत के कल्याण पर चर्चा होनी चाहिए. ऐसे विषयों पर चर्चा होनी चाहिए और एक अनुकूल वातावरण बनाया जाना चाहिए. इसीलिए हमने इसे लोक-मत-परिष्कार (Refining Public Opinion) कहा है. पं.दीनदयाल उपाध्याय ने लोक-मत-परिष्कार पर जोर दिया था. वैसे तो यह काम पूरे साल चलना चाहिए, लेकिन चुनावी मौसम में इस पर और भी जोर दिया जाना चाहिए.'