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RSS से जुड़ा किसान संगठन सरकार का विरोध क्यों कर रहा है: दिन भर, 19 दिसंबर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा किसान संगठन किन मुद्दों पर सरकार से ख़फ़ा है, भारतीय राजनीति में सावरकर की स्वीकार्यता कितनी बढ़ी है, कुछ सामानों पर इम्पोर्ट ड्यूटी क्यों बढ़ाना चाहती है सरकार और फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप के बड़े टेक अवेज़, सुनिए 'दिन भर' में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.

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Delhi farmers protest
Delhi farmers protest

साल भर से कुछ ज़्यादा वक़्त हुआ है जब दिल्ली की सीमाओं पर कई किसान संगठन डेरा डाले हुए थे. सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़. किसानों के लंबे आंदोलन के बाद सरकार को झुकना पड़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों क़ानून वापस लिए जाने की घोषणा कर दी. इसके बाद ये आंदोलन समाप्त हो गया था. इसके बाद भी बीच बीच में कुछ मांगों को लेकर किसान संगठनों का दिल्ली मार्च होता रहा है. आज आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने दिल्ली के रामलीला मैदान में गर्जना रैली का आयोजन किया.

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GST मुक्त खेती की मांग कितनी सही

दावा किया गया कि देश के अलग-अलग हिस्सों से क़रीब 40 हज़ार किसान इस रैली में जुटे और केंद्र सरकार के सामने अपनी आवाज़ बुलंद की. तो आज किसानों की गर्जना रैली आयोजित करने के पीछे का मक़सद क्या था, क्या इन मांगों को लेकर सरकार से या सरकार के किसी मंत्री या प्रतिनिधि से पहले कोई बातचीत हुई है? इसके अलावा भारतीय किसान संघ की जो मांगें हैं, वो कितनी जायज और प्रैक्टिकल हैं, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

कर्नाटक में सावरकर पर रार क्यों

भारतीय राजनीति में कई मुद्दे हैं जिनका ज़िक्र थोड़े-थोड़े वक्त के बाद होता रहता है और जब भी होता है तो एक हंगामा सा मच जाता है... ऐसा ही एक मुद्दा है सावरकर का.. किसी के लिए सावरकर वीर हैं तो किसी के लिए कॉन्ट्रोवर्शियल, क्योंकि उन्होंने अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी.  इन दिनों फिर से उनका नाम चर्चा में है और इस बार विवाद हुआ है कर्नाटक विधानसभा में उनकी तस्वीर लगाने से.

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हुआ यूं कि आज विधानसभा अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विधानसभा में सावरकर समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं की तस्वीरों को अनकवर किया. इनमें महात्मा गांधी, बसवन्ना, सुभाष चंद्र, डॉ अंबेडकर, सरदार पटेल और स्वामी विवेकानंद की तस्वीरों के अलावा सावरकर की तस्वीर भी थी, जिसे लेकर कांग्रेस ने विरोध किया.

राहुल गांधी ने भी पिछले दिनों कहा था कि इस देश में एक तरफ सावरकर और दूसरी ओर गांधी के विचारों की लड़ाई है. हालांकि बीजेपी ने इस हंगामे पर यही कहा कि कांग्रेस को सावरकर की तस्वीर का स्वागत करना चाहिए, सियासत नहीं। तो सियासत और अदावत की इस जंग में ये समझने की कोशिश करते हैं कि भारतीय राजनीति में सावरकर की स्वीकार्यता कितनी है, क्योंकि बीजेपी बार-बार कांग्रेस को ये भी याद दिलाती है कि इंदिरा गांधी ने सावरकर का डाक टिकट जारी किया था, अब चाहे वो सावरकर के बारे में कुछ भी कहे... और पिछले कुछ सालों में सावरकर को किस तरह से पॉलिटिकल स्पेस मिला है? इंडियन फ्रीडम मूवमेंट में सावरकर कहां खड़े होते हैं और उन्हें कोई सरकार नायक की तरह पेश करे तो उसमें बुनियादी समस्याएं क्या हैं, सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.

इम्पोर्ट होगा महंगा!

हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस के हवाले से एक आंकड़ा सामने आया था. इसमें बताया गया कि अक्टूबर महीने में year-on-year भारत का एक्सपोर्ट 16 फीसदी से ज्यादा श्रिंक हुआ है. मतलब सिकुड़ा है, कम हुआ है. पिछले साल अक्टूबर में एक्सपोर्ट गुड्स की वैल्यू 35 बिलियन डॉलर से ज्यादा थी जो इस साल अक्टूबर में 30 बिलियन डॉलर से भी कम रह गई. ग्लोबल इकोनॉमी में आई सुस्ती और डिमांड की कमी को देखते हुए आगे भी स्थिति बहुत अच्छी रहेगी, ऐसा लगता नहीं है. अच्छा, इस दौरान इम्पोर्ट लगातार बढ़ने की वजह से ट्रेड डेफिसिट भी बढ़ा है. इस हालात से उबरने के लिए भारत सरकार ऐसे नॉन एसेंशियल प्रोडक्ट्स की लिस्ट तैयार कर रही है ताकि उन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा कर व्यापार घाटे को कम किया जा सके.

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अक्टूबर में ही सरकार ने प्लैटिनम पर इंपोर्ट ड्यूटी को 10.75% से बढ़ाकर की 15.4% कर दिया था जिससे ये संकेत मिले थे कि आने वाले समय में इसे दूसरे प्रोडक्ट्स पर भी लागू किया जा सकता है. 2022-23 के बजट में भी सरकार ने हेडफोन, स्मार्ट मीटर जैसी कई चीज़ो पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई थी.

एक तर्क ये भी दिया जाता रहा है कि इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाने का मकसद डोमेस्टिक इंडस्ट्री को प्रमोट करना है.आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि भारत में ग्लोबलाइजेशन के दौर से पहले 1991-92 में नॉन एग्रीकल्चर प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी 150 फीसदी थी जो 2007-08 में घट कर दस फीसदी हो गयी लेकिन 2019-20 में वापस उछाल आया और इंपोर्ट ड्यूटी 17.6 फीसदी हो गयी, जिसके बाद से इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है. तो अब सवाल ये है कि कौन कौन से ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जिनके इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी हो सकती है और पिछले कुछ सालों में जिन चीज़ों की इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई गई क्या इससे डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट मिला, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

फुटबॉल के फ्यूचर स्टार

क़तर के लुसैल स्टेडियम में रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात जो कहानी लिखी गई, वो किसी परी कथा से कम नहीं. मेसी की टीम अर्जेंटीना ने कल एक साँसें थाम लेने वाले मुक़ाबले में फ्रांस को शिकस्त देकर इतिहास रचा. खेल शुरू होने के 70-75 मिनट बाद मामला एकतरफा लग रहा था, लेकिन फ्रांस के स्टार फुटबॉलर किलियन एमबाप्पे ने एक के बाद एक गोल दागकर मुक़ाबले में जान फूंक दी. और फिर जो हुआ वो दुनिया ने देखा. पेनाल्टी शूटआउट में मैच का नतीजा निकला और अर्जेंटीना का वर्ल्ड कप जीतने का सपना 36 साल बाद पूरा हुआ.

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 इस बेहद रोमांचक मैच के साथ फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप 2022 का समापन भी हो गया. तो इस वर्ल्ड कप के बड़े टेकअवेज क्या रहे? कौन सी भ्रांतियां टूटीं और क्या नई बातें एस्टैब्लिश हुईं? कौन सी ऐसी टीमें हैं जिनमें इस गेम की महाशक्ति बनने की पोटेंशियल दिखती है और वो यंग प्लेयर्स जो अगले कुछ सालों में बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभर सकते हैं, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में.

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