राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि हमारी सभी हिंदू परंपराएं, बौद्धिक मतभेदों के बावजूद, 'धर्म' का उदाहरण हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में सभी 'संप्रदायों' को अनुशासन का पालन करने के लिए खुद में सुधार करने की आवश्यकता है. उन्होंने यह टिप्पणी थाईलैंड में आयोजित 'विश्व हिंदू कांग्रेस 2023' के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए की. उन्होंने कहा कि आज की दुनिया सही राह पर नहीं है और लड़खड़ा रही है.
भागवत ने आगे कहा कि दुनिया ने 2000 वर्षों से खुशी और शांति लाने के लिए बहुत सारे प्रयोग किए हैं. भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद का उपयोग भी सभी ने किया और विभिन्न धर्मों को आजमाया. उन्हें भौतिक समृद्धि मिली है, लेकिन फिर भी कोई संतुष्टि नहीं है. आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'विश्व एक परिवार है और हम सभी को 'आर्य' बनाएंगे. भौतिक सुख के सभी साधनों पर कब्जा पाने के लिए लोग एक-दूसरे से लड़ने और हावी होने की कोशिश करते हैं. हमने इसका अनुभव किया है'.
'दुनिया इस बात पर एकमत हैं कि भारत उन्हें रास्ता दिखाएगा'
उन्होंने कहा, 'अब खासकर कोविड काल के बाद दुनिया ने पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है. और ऐसा लगता है कि वे इस बात पर एकमत हैं कि भारत उन्हें रास्ता दिखाएगा. क्योंकि भारत की यह परंपरा है. भारत पहले भी ऐसा कर चुका है. हमारे समाज और हमारे राष्ट्र का जन्म भी इसी उद्देश्य के लिए हुआ है. हम हर जगह जाते हैं और हर किसी के दिल को छूते हैं. वे हमसे सहमत हो सकते हैं, सहमत नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन हमें सभी के साथ जुड़ना होगा'.
'लोग भौतिक सुख के सभी साधन चाहते हैं, पर इरादा नेक नहीं'
भागवत ने कहा, 'हमारे पास धर्म विजय है, वह विजय जो धर्म पर आधारित है. वह प्रक्रिया जो धर्म नियमों पर निर्भर करती है और इसका परिणाम भी धर्म है जो हमारा कर्तव्य है. एक और है 'धन विजय'. लोग भौतिक सुख के सभी साधन प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन इरादा नेक नहीं है, वे आत्मकेंद्रित है. हमने 'असुर विजय' का अनुभव किया है- उन्होंने अन्य समाजों पर आक्रमण किया, उन्होंने 5200 वर्षों तक शासन किया, और हमारी भूमि पर विनाश और कहर बरपाया. हमने 250 से अधिक वर्षों तक 'धन विजय' का अनुभव किया है, जब भारत को लूटा गया.'
'विश्व में समरसता आ सकती है, जिसके लिए भारत जरूरी है'
आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि कुछ महीने पहले विश्व मुस्लिम परिषद के महासचिव भारत आए थे. उन्होंने भी अपने भाषणों में कहा था कि अगर हम चाहें तो विश्व में समरसता आ सकती है, जिसके लिए भारत जरूरी है. भागवत ने कहा कि इसलिए यह हमारा कर्तव्य है. हिंदू समाज अस्तित्व में भी इसी कारण आया. आपको बता दें कि हर चार साल में होने वाली विश्व हिंदू कांग्रेस की मेजबानी इस समय थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में की जा रही है. विश्व हिंदू फाउंडेशन द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम 24 नवंबर को शुरू हुआ और 26 नवंबर को समाप्त होगा.