राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी मराठी की साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में एनसीपी को लेकर बड़ा बयान दिया गया है. इस लेख में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए अजित पवार की अगुवाई वाले एनसीपी से किया गया गठबंधन जिम्मेदार है.
साप्ताहिक पत्रिका 'विवेक' के ताजा अंक में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के कारणों पर बात करते हुए आज बीजेपी का हर कार्यकर्ता एनसीपी के साथ गठबंधन का नाम सबसे पहले लेता है. साफ है कि बीजेपी के कार्यकर्ता को एनसीपी से गठबंधन करना रास नहीं आया. यहां तक कि बीजेपी के कार्यकर्ता भी इसे जानते हैं.
लेख में कहा गया कि शिवसेना के साथ बीजेपी का गठबंधन हिंदुत्व पर आधारित था और यह एक तरह से सहज था. कुछ एक झटकों के बावजूद बीजेपी और शिवसेना का दशकों पुराना गठबंधन सहज ही रहा है. लेकिन एनसीपी के मामले में ऐसा नहीं है. लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर निराशा बढ़ी है. पार्टी और नेताओं ने अपना कैलकुलेशन किया था लेकिन फिर गलत क्या हुआ? इस सवाल का जवाब खोजने की जरूरत है.
इस आर्टिकल में दावा किया गया है कि बीजेपी एकमात्र पार्टी है, जो कार्यकर्ताओं को नेता बनाने के लिए सहज प्रक्रिया का पालन करती है. लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं को अब लगता है कि इस प्रक्रिया को नजरअंदाज किया जाने लगा है. बीजेपी इम्पोर्टर पार्टी बन चुकी है. दाग धोने वाली वॉशिंग मशीन बन गई है.
कुछ हफ्ते पहले आरएसएस की मैगजीन Organiser ने लोकसभा चुनाव के नतीजों को अति आत्मविश्वासी बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए रियलिटी चेक बताया था.
इस लेख में आरएसएस सदस्य रतन शारदा ने कहा था कि यह झूठा अहंकार कि सिर्फ बीजेपी के नेता ही असल राजनीति को समझ सकते हैं और आरएसएस के सदस्यों को कुछ मालूम नहीं, एक तरह से हास्यास्पद है.