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RSS ने टाला तमिलनाडु का रूट मार्च, अब 17 अगस्त को होगी 'सुप्रीम' सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा एक लोकतंत्र की भाषा है और एक सत्ता की भाषा है.आप कौन सी भाषा बोलते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां हैं. सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते हुए RSS पांच मार्च को तमिलनाडु में  रूट मार्च टालने को सहमत हुआ.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

तमिलनाडु में RSS रूट मार्च के खिलाफ दायर राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट  ने आज सुनवाई की है . मामले को लेकर तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार 6 जिलों में मार्च को इजाजत नहीं दे सकती. क्योंकि इन इलाकों में PFI व बम ब्लास्ट आदि का खतरा है.

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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा एक लोकतंत्र की भाषा है और एक सत्ता की भाषा है.आप कौन सी भाषा बोलते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां हैं. सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते हुए RSS पांच मार्च को तमिलनाडु में  रूट मार्च टालने को सहमत हुआ.

वहीं तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा कि वो इस मामले में कोई समाधान निकालेंगे कि किन शर्तों पर रूट मार्च की इजाजत दी जाए.साथ ही वो RSS से रूट मार्च को लेकर बातचीत भी करेंगे. RSS की ओर से  महेश जेठमलानी ने कहा कि म जिन इलाकों का जिक्र राज्य सरकार कर रही है पहले भी हमने वहां जुलूस निकाला है.साथ ही कहा कि फिलहाल 5 मार्च को होने वाला रुट मार्च नहीं होगा. 

इसपर तमिलनाडु सरकार के वकील  मुकुल रोहतगी ने आरएसएस के प्रस्तावित रूट मार्च का विरोध करते हुए कहा कि हमने रूट मार्च करने से मना नहीं किया था.लेकिन हर एक गली और मोहल्ले में करने का क्या मतलब है, जहां स्थितियां अच्छी नहीं है.कानून व्यवस्था खराब हो सकती है.कानून व्यवस्था सरकार की जिम्मेदारी है. PFI को बैन किया गया है. कई संवेदनशील जगहें हैं. तमिलनाडु सरकार ने कहा हमारे पास इंटेलिजेंस की रिपोर्ट है, बॉर्डर से सटे कुछ संवेदनशील इलाके हैं. वहां पर मार्च नहीं निकालने की बात कही है. कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले पर 17 मार्च को सुनवाई करेंगे. 
 

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