राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दशहरा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पर्वतारोही संतोष यादव शामिल हुईं. आरएसएस की स्थापना दिवस पर उन्होंने कहा कि लोग मेरे हाव-भाव देखकर पूछते थे कि क्या तुम संघी हो? इसका जवाब देते हुए मैं उन्हें कहती थी कि वो क्या होता है. आज किस्मत मुझे सर्वोच्च मंच पर लेकर आई है.
संतोष यादव ने एक किस्सा बताते हुए कहा कि एक बार जेएनयू में वह पर्यावरण पर बोल रही थीं. तभी एक छात्रा ने उनसे कहा कि हमें रामचरितमानस या गीता पढ़ने के लिए क्यों कहा जाता है. मैंने उन्हें कहा कि ऐसा तो मैंने नहीं कहा है. फिर मैंने उन्हें कहा कि आपने इन पुस्तकों को पढ़ा है? तो उन्होंने कहा कि नहीं. फिर मैंने उन्हें कहा कि बिना पढ़े आप इन पुस्तकों को लेकर द्वेष क्यों पाल रही हैं. आप इसे पढ़िए. सनातन संस्कृति सृजन की प्रेरणा देता है.
राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हम सफल: भागवत
इस दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है. हमने लंका को उसके आर्थिक संकट में मदद की. यूक्रेन में अमेरिका और रूस की लड़ाई में हमने अपने हित को सबसे आगे रखा. मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हम लगातार सफल होते जा रहे हैं और स्वावलंबी होते जा रहे हैं. इस नवोत्थान की आहट सुनकर हम भी प्रसन्न हो रहे हैं.
कौन हैं संतोष यादव?
संतोष यादव पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने दो बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है. उन्होंने पहली बार मई 1992 और दूसरी बार मई 1993 में एवरेस्ट चोटी फतह की और ऐसा कर उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. इसके अलावा संतोष कांगसुंग की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली दुनिया की पहली महिला भी हैं.
संतोष यादव का जन्म हरियाणा के रेवाणी जिले में साल 1968 में हुआ था. उनके इलाके में लड़कियों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था, लेकिन संतोष के परिवार ने उन्हें पढ़ाया और आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें जयपुर भेजा, जहां महारानी कॉलेज से उन्होंने आगे की पढ़ाई की.
संतोष यादव को असाधारण काम के लिए साल 2000 में भारत सरकार ने चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया था. फिलहाल संतोष यादव भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में एक पुलिस अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. साथ ही उन्होंने उत्तरकाशी नेहरू माउंटीनियरिंग कॉलेज से ट्रेनिंग भी ली थी.
हर साल नागपुर में होता है दशहरा कार्यक्रम
आरएसएस की स्थापना के बाद से हर साल नागपुर में दशहरे पर कार्यक्रम का आयोजन होता है. साल 1925 के बाद इस कार्यक्रम में कोई पुरुष मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करता आया है, लेकिन पहली बार इसमें किसी महिला को मुख्य अतिथि बनाया गया है. हालांकि 1936 में संघ ने अपनी महिला विंग राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की थी.