Code of Conduct Rules: 50 हजार रुपये कैश ले जाने पर भी रोक... आचार संहिता में आम आदमी के लिए क्या हैं नियम
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम लागू करता है. इलेक्शन कमेटी के उन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं. आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाता है और ये चुनाव प्रक्रिया के पूरी होने और वोट गिने जाने तक लागू रहता है.
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- नई दिल्ली,
- 27 मार्च 2024,
- (अपडेटेड 27 मार्च 2024, 1:41 PM IST)
चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही देशभर में चुनाव आयोग का मॉडल, कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो जाता है. इस नियम के लागू होने के बाद नेता से लेकर आम जनता तक सब पर तरह-तरह की पाबंदियां लग जाती हैं और इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई भी की जाती है. बता दें कि लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और देशभर में कोड ऑफ कंडक्ट यानी आचार संहिता लागू है.
क्या है आचार संहिता?
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम लागू करता है. इलेक्शन कमेटी के उन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं. आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाता है और ये चुनाव प्रक्रिया के पूरी होने और वोट गिने जाने तक लागू रहता है.
आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव से जुड़े लोगों जैसे-नेताओं और कार्यकर्ताओं पर तो इसके नियम लागू होते ही हैं लेकिन आम जनता पर कई पाबंदियां लग जाती हैं.
- आदर्श आचार संहिता लागू होने पर सरकारी वाहनों में सायरन नहीं लगाए जा सकते.
- सरकारी आवास में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री और राजनीतिक हस्तियों की फोटो लगाने पर पूरी तरह से मनाही होती है.
- कोई भी व्यक्ति नेता सरकार की उपलब्धियों वाले विज्ञापन प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और दूसरे मीडिया में नहीं दे सकता.
- इस दौरान आम लोगों को भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती है. आपकी एक गलती आपको जेल भेज सकती है.
- कोई भी ऐसा फोटो वीडियो शेयर नहीं कर सकते जिसमें सरकार की उपलब्धियां गिनाई जा रही हों.
- अगर आप ज्यादा राशि लेकर जा रहे हैं तो चुनाव आचार संहिता के दौरान आपसे पूछताछ की जाएगी और नकदी के संबंध में आपको प्रमाण देने होंगे.
- आम लोगों और व्यापारियों को कैश ले जाने के कुछ रिकॉर्ड साथ में जरूर रखने चाहिए. जैसे कि ये पैसा किस लिए ले जाया जा रहा है और इसका सोर्स क्या है.
- इसके अलावा बड़े डिजिटल ट्रांजेक्शन पर भी नजर रखी जाती है.
- किसी भी यूपीआई आधारित पेमेंट ऐप से रोजाना पचास हजार रुपये का ट्रांजेक्शन हो सकता है. इससे ज्यादा पर एक्शन हो सकता है.