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'रूस-यूक्रेन, इजरायल-ईरान, भारत वो देश जो सबके साथ कर सकता है बात...', विदेश नीति पर बोले एस जयशंकर

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, बीते कुछ सालों में दुनिया की अर्थव्यवस्था ने कई तूफान देखे. कोविड ने सप्लाई चेन की कमजोरियों को सबके सामने ला दिया, तो यूक्रेन संकट ने खाने-पीने की चीजों, ईंधन और खाद की चिंता बढ़ा दी. अक्टूबर 2023 से पश्चिम एशिया में चल रही उथल-पुथल ने समुद्री व्यापार को ठप कर दिया

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केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर
केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

बिजनेस टुडे के खास कार्यक्रम बीटी माइंडरश का आयोजन शनिवार को हुआ. इस मौके पर विशेष सत्र में केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शिरकत की. कार्यक्रम के खास सेशन Diplomacy in the Age of Disruption में केंद्रीय विदेश मंत्री ने आज के 'व्यवधान भरे दौर में कूटनीति' अपना रास्ता किस तरह से निकाल रही है, उस पर बात की. विदेश मंत्री ने भारत की आर्थिक नीतियों और दुनिया के बदलते मिजाज को भी सामने रखा और साफ शब्दों में बिजनेस, सियासी हालात और चुनौतियों पर टिप्पणी की. 

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सबके साथ संवाद कायम कर सकता है भारत
उन्होंने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भारत उन गिने-चुने देशों में से है जो यूक्रेन और रूस, साथ ही इजरायल और ईरान, दोनों के साथ संवाद कायम रख सकता है. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि 'सबका साथ, सबका विकास' का मंत्र विदेश नीति पर भी लागू होता है. जयशंकर ने कहा, "आज के ध्रुवीकृत दौर में भारत उन चुनिंदा देशों में है जो रूस और यूक्रेन, इजरायल और ईरान, क्वाड और ब्रिक्स, सभी के साथ जुड़ सकता है. 

विदेश नीति में भी सच है सबका साथ-सबका विकास का नारा
'सबका साथ, सबका विकास' का नारा विदेश नीति में भी उतना ही सच है. 'पश्चिमी और यूरोपीय देशों के उलट, भारत ने यूक्रेन-रूस युद्ध में किसी एक पक्ष का साथ नहीं दिया और हमेशा शांति की वकालत की है। जयशंकर ने दोहराया, "हमारा पक्ष शांति का है. 'इसी तरह, मध्य पूर्व में 2023 में हमास के इजरायल पर अचानक हमले से शुरू हुए संघर्ष के बीच भारत ने ईरान और इजरायल के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों में संतुलन बनाए रखा है। जहां इजरायल भारत के लिए एक प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है, वहीं ईरान से कच्चा तेल भारत की जरूरतों को पूरा करता है.

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भारत के इस तटस्थ रुख की हाल ही में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी तारीफ की थी, हालांकि उनकी पार्टी को यह बात रास नहीं आई. इस पर जयशंकर ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, 'मैं हमेशा से थरूर के हमारे बारे में फैसले की कद्र करता रहा हूं." जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्व नेताओं के साथ गहरी दोस्ती और उनकी दूरदर्शिता को भारत की कूटनीति का आधार बताया. उन्होंने कहा, "हमने रूस-यूक्रेन संकट को, इसके कारणों को और बड़े माहौल को बहुत निष्पक्ष नजरिए से देखा. कई अन्य देश शायद भावनाओं में बह गए, जिससे उनकी सोच धुंधली हो गई.'

दुनिया के सियासी हालात को समझना जरूरी
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, आज के दौर में दुनिया के सियासी हालात को समझना पहले से कहीं ज्यादा जरूरी है. ये हमारे लिए मौके भी लेकर आते हैं और चुनौतियां भी खड़ी करते हैं. उन्होंने कहा कि  'हम भले ही यहां बिजनेस की बात कर रहे हों, लेकिन असल में ये सब नौकरियां पैदा करने और देश को आगे बढ़ाने की कहानी है. ये हमारी खुशहाली का रास्ता है. जब बिजनेस कामयाब होते हैं, चाहे देश में हों या विदेश में, तभी हमारे पास वो ताकत, तकनीक और मौके आते हैं, जो 'विकसित भारत' का सपना सच करने के लिए चाहिए.'

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, बीते कुछ सालों में दुनिया की अर्थव्यवस्था ने कई तूफान देखे. कोविड ने सप्लाई चेन की कमजोरियों को सबके सामने ला दिया, तो यूक्रेन संकट ने खाने-पीने की चीजों, ईंधन और खाद की चिंता बढ़ा दी. अक्टूबर 2023 से पश्चिम एशिया में चल रही उथल-पुथल ने समुद्री व्यापार को ठप कर दिया, जिससे एशिया-यूरोप का कारोबार प्रभावित हुआ. ऊपर से मौसम की मार और सियासी तनाव ने डिजिटल और टेक दुनिया को भी हिलाकर रख दिया.

'हील इन इंडिया' का वक्त आ चुका है
उन्होंने टेक पर बात करते हुए कहा कि, 'टेक और सर्विसेज से भरे भविष्य के लिए हमें अपने नौजवानों को दुनिया के लायक बनाना होगा. कई देशों में काम की जरूरत और आबादी का तालमेल गड़बड़ा गया है. भारत ने इसे मौके में बदला और अपनी प्रतिभा को गतिशीलता साझेदारियों से दुनिया तक पहुंचाया. अपने लोगों की सुरक्षित यात्रा के लिए निकासी से लेकर हर मदद का इंतजाम किया गया. अब टूरिज्म सिर्फ घूमने की बात नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने का जरिया बन गया है. 'हील इन इंडिया' का वक्त आ चुका है, और ये हमारे लिए गर्व की बात है.

विदेश मंत्री ने यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ चल रहे मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) और न्यूजीलैंड के साथ ताजा शुरू हुई बातचीत का जिक्र किया. उनका कहना था कि आज की अनिश्चित दुनिया में इन कोशिशों की कीमत को समझना होगा. भारत अपने हितों को आगे रखते हुए इन रिश्तों से नई राहें तलाशेगा.

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