भारत के किसान आंदोलन पर ब्रिटिश संसद में बहस होने के बाद अब भारत ने भी जवाबी स्ट्राइक की है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को राज्यसभा में ब्रिटेन में बढ़ रहे नस्लवाद के मुद्दे को उठाया और कहा कि अगर जरूरत पड़ती है, तो इन मुद्दों को सही स्थान पर उठाया जाएगा.
दरअसल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बीते दिनों एक भारतीय छात्रा को विरोध के कारण इस्तीफा देना पड़ा था. अब यूनाइटेड किंगडम में नस्लभेद के जुड़े कुछ ऐसे ही मामलों की गूंज सोमवार को देश की संसद में सुनाई दी. संसद में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस मसले पर जवाब दिया और कहा कि हम हर मामले पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं, ऐसे में जरूरत पड़ने पर सरकार के सामने उठाया जाएगा.
We will monitor these developments very very closely. We will raise it when required and we will always champion the fight against racism and other forms of intolerance: EAM Dr S Jaishankar in Rajya Sabha on Oxford University's racism row
— ANI (@ANI) March 15, 2021
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि हम महात्मा गांधी के देश के लोग हैं, ऐसे में नस्लवाद के मुद्दे पर हम कभी आंखें नहीं फेर सकते हैं. वो भी उस देश में जहां भारतीय बड़ी संख्या में रहते हों. यूनाइटेड किंगडम के साथ हमारे अच्छे रिश्ते हैं, अगर कोई मामला सामने आता है तो हम उनके सामने जरूर उठाएंगे.
आपको बता दें कि बीजेपी सांसद अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को सदन में यूनाइटेड किंगडम में रेसिज्म का मसला उठाया. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ऑक्सफोर्ड में भारतीय स्टूडेंट रश्मि सामंत के साथ जो हुआ, वो गलत रहा. अश्विनी वैष्णव ने अपने बयान में मेगन मर्केल के इंटरव्यू का भी जिक्र किया और कहा कि इंटरव्यू बताता है कि वहां पर किस तरह नस्लवाद घर कर चुका है.
भारतीय मूल की छात्रा को देना पड़ा था इस्तीफा
गौरतलब है कि ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी में बीते दिनों रश्मि सामंत स्टूडेंट यूनियन की प्रेसिडेंट चुनी गई थीं. लेकिन उनके कुछ पुराने सोशल मीडिया पोस्ट वायरल होने के बाद उन्हें निशाने पर लिया गया और शपथ लेने से पहले ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों में भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच राजनीतिक तौर पर वाद-विवाद बढ़ा है. कृषि कानूनों के मसले पर बीते दिनों ब्रिटेन की संसद में बहस हुई थी, जिसके बाद भारत की ओर से कड़ी आपत्ति जाहिर की गई थी. भारत ने साफ किया था कि कृषि कानून से जुड़ा कोई भी मसला भारत का आंतरिक मुद्दा है, ऐसे में कोई बाहरी देश इसमें दखल ना दे.