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पायलट को कैसे मनाएगी कांग्रेस, क्या ये तीन ऑफर सुलझा पाएंगे राजस्थान की कलह?

आखिरकार कांग्रेस ने कर्नाटक में सीएम बना ही लिया. इसके साथ ही अब एक बार फिर आलाकमान का ध्यान राजस्थान के राजनीतिक संकट की ओर चला गया है. यहां सचिन पायलट को मनाने के लिए उन्हें तीन ऑफर दिए जाने की कवायद की जा रही है. देखना ये है कि कांग्रेस इस मसले को किस तरह से हल करके राज्य के संकट को दूर कर पाती है.

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सचिन पायलट, अशोक गहलोत (फाइल फोटो)
सचिन पायलट, अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

कर्नाटक में सीएम तय हो जाने के बाद अब एक बार फिर सबकी निगाहें राजस्थान की ओर मुड़ गई हैं. माना जा रहा है, कर्नाटक का रण जीतने के बाद अब कांग्रेस प्रमुखता से राजस्थान में चल रहे घर के झगड़े का निपटारा करेगी. सवाल है कि क्या सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की तरह कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट को साथ लाने में सफल हो पाएगा. एक तरफ सचिन पायलट रैली में गहलोत के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान कर अपने इरादे साफ कर चुके हैं तो शुरू से सचिन पायलट पर बीजेपी से मिले होने के आरोप लगाकर घेरते रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने मंत्रियों-विधायकों के जरीए सचिन पायलट पर हमले बुलवाना शुरू कर चुके हैं. 

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सिर्फ सोनिया के मनाने से मान सकते हैं पायलट
कहा जा रहा है कि जिस तरह से सोनिया गांधी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सुलह संभव हो पाई, उसी तरह राजस्थान में भी सोनिया गांधी ही सचिन पायलट को मना सकती हैं. सचिन पायलट ने अपनी यात्रा में और सभा में कांग्रेस की एक मात्र नेता सोनिया गांधी की तस्वीर लगा रखी थी. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष गहलोत-पायलट के झगड़े से पहले ही यह कहकर पल्ला झाड़ चुके हैं कि जो फैसला होगा मैडम को ही करना है, मगर लोग कह रहे हैं कि दोनों में समझौते के लायक गुंजाइश शायद ही बची है. 

गहलोत किसी भी सूरत में सचिन पायलट को पार्टी में रखने के पक्ष में नही हैं और जल्दी से जल्दी कार्रवाई चाहते हैं. मगर कांग्रेस में बहुत सारे विधायक ऐसे हैं जो चाहते हैं कि दोनों नेता कांग्रेस में बने रहें ताकि पावर ऑफ बैंलेंस बना रहे और पार्टी टूटे नहीं. इसके लिए सचिन पायलट को कुछ ऑफर दिए जा सकते हैं.

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सचिन पायलट को क्या ऑफर किया जा सकता है-
1. कहा जा रहा है कि सचिन पायलट के पास दिल्ली आकर महासचिव बनने का ऑफर है. इसके लिए वो तैयार नहीं है मगर भविष्य में राजस्थान की राजनीति में वापस महत्वपूर्ण पद देकर मनाया जा सकता है.
2. राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाए और इनके कुछ लोगों को मंत्रिमण्डल में रखा जाए.
3. कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाकर चुनाव में चेहरा बनाया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो सचिन पायलट मानने के लिए तैयार नही हैं और जून के दूसरे हफ्ते में वो 15 दिन का अल्टीमेटम खत्म होने के बाद अपनी पार्टी बनाकर मैदान में उतर सकते हैं.

पायलट को पार्टी से निकलवाना चाहते हैं गहलोत!
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि सचिन पायलट पार्टी में रहकर ज्यादा नुकसान कर सकते हैं. इसलिए उन्हें निकाला जाए, अगर वो जल्दी पार्टी से जाते हैं तो हम नुकसान की भरपाई कर पाएंगे. गहलोत को लगता है कि सचिन पायलट के साथ केवल उनकी जाति गुर्जर लोग ही जाएंगे. हालांकि पायलट की सभा में जाटों की भारी भीड़ देखकर गहलोत गुट ने चार जाट नेताओं की मीटिंग की तस्वीर जारी करवाई है, जिसमें प्रदेशअध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, मंत्री रामलाल जाट, विधायक चेतन डूडी और एक पदाधिकारी शामिल हैं. ये तस्वीर और वीडियो प्रदेश अध्यक्ष के यहां से क्यों जारी हुई है ये नहीं लिखा है जिसके क्या मायने निकाले जा रहे हैं.

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गहलोत के साथ राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बताए जा रहे हैं, जबकि गांधी परिवार चाहता है कि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़कर नहीं जाए. सचिन पायलट फिलहाल दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. माना जा रहा है कि वे कर्नाटक चुनाव के बाद राजस्थान को लेकर कांग्रेस आलाकमान के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.


 

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