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मिट्टी बचाओ अभियानः 26 देशों के बाद भारत पहुंची सद्गुरु की मोटरसाइकिल यात्रा

भारतीय नौसेना ने अपने बैंड पर ‘सेव-सॉयल’ एंथम बजाकर सद्गुरु का भव्य स्वागत किया. इस दौरान लोगों ने ‘धरती की पुकार, धरती की ललकार, धरती की दहाड़, मिट्टी बचाओ पेड़ लगाओ’ के नारे भी लगाए.

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गुजरात के जामनगर पहुंचे सद्गुरु
गुजरात के जामनगर पहुंचे सद्गुरु

हड्डियां जमाने वाली यूरोप की ठंड और अरब के रेगिस्तान से गुजरने के बाद ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु की मिट्टी बचाओ अभियान के तहत मोटरसाइकिल यात्रा अब भारत पहुंच गई है. सद्गुरु की ‘मिट्टी के लिए यात्रा’ यूरोप, मध्य-एशिया और मध्य-पूर्व के बाद भारत के पश्चिमी तट पर पहुंची. सद्गुरु ओमान के सुल्तान काबूस बंदरगाह से तीन दिन में गुजरात में जामनगर बंदरगाह पहुंचे.

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भारतीय नौसेना ने अपने बैंड पर ‘सेव-सॉयल’ एंथम बजाकर सद्गुरु का भव्य स्वागत किया. इस दौरान लोगों ने ‘धरती की पुकार, धरती की ललकार, धरती की दहाड़, मिट्टी बचाओ पेड़ लगाओ’ के नारे भी लगाए. सद्गुरु ने भारत में ‘मिट्टी के लिए यात्रा’ की शुरुआत एक पेड़ लगाकर की. नगाड़ों की धमक, लोक नृत्य के बीच सद्गुरु ने मिट्टी बचाओ का जोश बनाए रखने का संदेश दिया.

सद्गुरु ने कहा कि कम से कम अगले 30 दिन आप अपनी आवाज को तेज रखिए. बस एक दिन चिल्लाने से नहीं होगा. एक स्थायी तरीके से हर दिन 15-20 मिनट संदेश को आगे बढ़ाइए. जब तक कि हम यह न सुनें कि दुनिया में हर सरकार ने मिट्टी को पुनर्जीवित करने की नीति बना ली है. उन्होंने दोहराया कि हम सबके हाथ में फोन के रूप में पॉवरहाउस है और हर किसी को मिट्टी के लिए बोलने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहिए.

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सद्गुरु के स्वागत को उमड़े लोग
सद्गुरु के स्वागत को उमड़े लोग

 
बंदरगाह पर सद्गुरु का स्वागत करने के लिए जामनगर में जाम साहब की प्रतिनिधि एकताबा सोढ़ा के साथ ही कई राजनेता और भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के कमांडिंग ऑफिसर भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का हिस्सा होना उनके लिए गौरव और सौभाग्य की बात है. वे नीतिगत बदलाव को प्रभावित कर रहे हैं, शिक्षित कर रहे हैं, मिट्टी बचाने के लिए जागरूक कर रहे हैं. एकताबा ने कहा कि आज जामनगर के इतिहास में दूसरी बार है कि शाही परिवार के निमंत्रण पर मालवाहक बंदरगाह पर एक विशेष अधिसूचना के साथ असैनिक उतर रहा है.
 
सद्गुरु ने किया कलाकारों का अभिवादन

सद्गुरु ने इस दौरान कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों का भी अभिवादन किया. इस मार्च में मिट्टी के विलुप्त होने को रोकने के लिए वैश्विक अभियान शुरू करने के बाद सद्गुरु फिलहाल 30 हजार किलोमीटर की सौ दिन की ‘मिट्टी के लिए यात्रा’ पर हैं. उनकी यात्रा 21 मार्च को लंदन से शुरू हुई थी जो जून महीने के अंत में कावेरी नदी घाटी पहुंचकर समाप्त होगी.

नेवी के अधिकारियों ने भी किया स्वागत
नेवी के अधिकारियों ने भी किया स्वागत

 
सद्गुरु ने अपनी मोटरसाइकिल से बंदरगाह पर मिट्टी बचाओ स्वयंसेवियों की लंबी कतार के बीच से गुजरते हुए उनका अभिवादन किया और नेवी गेट की ओर बढ़ गए जहां नौसेना बैंड ने कमांडिंग ऑफिसर और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में संगीतमय स्वागत किया. सद्गुरु इसके बाद बंदरगाह से बाहर आए और भारत में अपनी आगे की यात्रा पर बढ़ गए.

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क्या है मिट्टी बचाओ अभियान का उद्देश्य

मिट्टी बचाओ अभियान का मुख्य मकसद हर देश पर नीतिगत सुधार के जरिये कृषि भूमि में कम से कम 3 से 6 प्रतिशत जैविक तत्व का होना जरूरी बनाए जाने के लिए दबाव डालना है. मृदा वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस न्यूनतम जैविक तत्व के बिना मिट्टी की मृत्यु निश्चित है. इस घटना को ‘मिट्टी का विलुप्त होना’ कहा जा रहा है.

सद्गुरु ने किया लोगों का अभिवादन
सद्गुरु ने किया लोगों का अभिवादन

 
भारत में कृषि भूमि में औसत जैविक तत्व 0.68 प्रतिशत होने का अनुमान है. इस कारण मरुस्थलीकरण होने का बड़ा खतरा है. देश की लगभग 30 प्रतिशत उपजाऊ मिट्टी बंजर हो गई है और उपज देने में नाकाबिल है. ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में उपजाऊ जमीन का लगभग 25 प्रतिशत रेगिस्तान बन गया है. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इस दर से मिट्टी के खराब होने से धरती का 90 प्रतिशत 2050 तक रेगिस्तान में बदल जाएगा जिसमें बस 30 साल बचे हैं.

मिट्टी विलुप्त हुई तो आ सकती है तबाही
 
मिट्टी के विलुप्त होने से दुनिया भर में अभूतपूर्व पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक तबाही आ सकती है जिसमें तीव्र जलवायु परिवर्तन, वैश्विक खाद्य और जल संकट, नृशंस गृह युद्ध और दुनिया भर में पलायन भी शामिल हैं. इससे हर देश की सुरक्षा और सांस्कृतिक तानाबाना खतरे में पड़ सकते हैं. मिट्टी बचाओ अभियान को यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD), यूनाइटेड नेशंस पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), यूएन वर्ल्ड खाद्य कार्यक्रम, और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (ICUN) का समर्थन प्राप्त है. 68 दिन पहले जब से सद्गुरु ने लंदन से अपनी अकेली मोटरसाइकिल यात्रा शुरू की है, तब से दुनिया के 74 देशों ने अपने यहां मिट्टी बचाने के लिए ठोस कार्यवाही करने का संकल्प लिया है.

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सद्गुरु ने की मिट्टी बचाने की अपील
सद्गुरु ने की मिट्टी बचाने की अपील

मिट्टी बचाओ, मिट्टी और धरती को बचाने के लिए एक वैश्विक जागरुकता अभियान है. यह एक जन अभियान है. इस अभियान का उद्देश्य दुनिया भर में 3.5 अरब से अधिक लोगों के समर्थन के साथ सरकारों को नीतिगत स्तर पर निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना है. ये दुनिया की मतदान करने वाली आबादी का 60% से अधिक हिस्सा है. विश्व के कई राजनेता, प्रभावशाली व्यक्ति, कलाकार, विशेषज्ञ, किसान, आध्यात्मिक नेता, गैर सरकारी संगठन और नागरिक मिट्टी के साथ मानवता के संबंधों को फिर से स्थापित करने के अभियान का मुखर समर्थन कर रहे हैं.

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