scorecardresearch
 

भरतपुर: कृष्ण की पहाड़ियों को रसूखदारों ने बना दिया पाताल, पैसे के आगे प्रियंका गांधी की भी नहीं सुनी

संत विजयदास ने 4 जुलाई 2022 को भी मरने से पहले वीडियो जारी कर कहा था कि खनन रोको नहीं तो आत्मदाह करेंगे. मगर फिर भी सरकार खनन नहीं रोक पाई. दरअसल, इसकी बड़ी वजह है कि ब्रज के ये आदि बद्री पर्वत नेताओं और अफसरों के नामी और बेनामी कमाई का बड़ा जरिया हैं.

Advertisement
X
खनन माफियाओं ने पहाड़ों को पूरी तरह खोद दिया है.
खनन माफियाओं ने पहाड़ों को पूरी तरह खोद दिया है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भरतपुर में अवैध खनन नहीं रुकने का विवाद गरमाया
  • आंदोलन करने वाले संत विजयदास ने आत्मदाह कर किया

राजस्थान के भरतपुर में अवैध खनन के खिलाफ 500 से ज्यादा दिनों से आंदोलन करने वाले संत विजयदास ने आत्मदाह कर लिया. उन्होंने 18 दिन पहले ही सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर बृज के पहाड़ी क्षेत्र में खनन नहीं रोका गया तो वे अपनी जान दे देंगे. हालांकि, इस धमकी को गंभीरता से नहीं लिया गया. यही वजह है कि संत ने मांग पूरी नहीं होने पर खुद पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली. दिल्ली के एम्स में उनकी मौत हो गई. 

Advertisement

इस घटना के पीछे की सच्चाई चौंकाने वाली है. यहां कांग्रेस, बीजेपी, बसपा नेताओं, विधायकों और मंत्री की लीज और क्रशर हैं. ऐसे में स्थानीय प्रशासन भी खुली छूट दिए है और कार्रवाई नहीं कर रहा है. बताते चलें कि 21 अप्रैल 2021 को साधू समाज ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर कहा था कि आप ब्रजकोशी की आदिबद्री का खनन रोकिए, वरना हम जान दे देंगे. 

84 कोस परिक्रमा में शामिल पहाड़ियां छलनी

संत विजयदास ने 4 जुलाई 2022 को भी मरने से पहले वीडियो जारी कर कहा था कि खनन रोको नहीं तो आत्मदाह करेंगे. मगर फिर भी सरकार खनन नहीं रोक पाई. दरअसल, इसकी बड़ी वजह है कि ब्रज के ये आदि बद्री पर्वत नेताओं और अफसरों के नामी और बेनामी कमाई का बड़ा जरिया हैं. भगवान कृष्ण का आदि तीर्थ के 84 कोस परिक्रमा में शामिल आदिबद्री और कनकांचल की पहाड़ियां छलनी हो गई हैं. राजस्थान के रसूखदारों ने पहाड़ को पाताल बना दिया है. 

Advertisement

राजस्थान

खनन रोकने टावर पर भी चढ़े संत

आजतक की टीम ने आदिबद्री का दौरा किया तो देखा और जाना कि आखिर क्यों साधू विजयदास ने जान दे दी. बाबा विजयदास की आग में लपटी तस्वीरों को जिसने भी देखा, उनकी रूह कांप गई. बाबा विजय दास जब खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा रहे थे, ठीक उसी वक्त बाबा नारायणदास जान देने के लिए वहीं पर मोबाइल टावर पर चढे़ थे. इनकी यही मांग थी कि ब्रज क्षेत्र के कनकांचल और आदिबद्री की पहाड़ियों से खनन बंद हो. 

गहलोत ने मीटिंग बुलाई, मगर हुआ कुछ नहीं

इसके लिए ये 551 दिन से धरने पर बैठे थे. इस बीच यूपी चुनाव के बीच सितंबर में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मिलकर आए. प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फोन किया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीटिंग बुला ली मगर कुछ नहीं हुआ. संत 551 दिन से बैठे रहे. लेकिन, सरकार को समझ नहीं आई. मगर संत के मरने के बाद सभी मांगें मानकर ट्रैक्टर चलाकर जमीन जोत दी और सिविल ड्रेस में पुलिस लगा दी. 

राजस्थान

हमारी कोई मदद नहीं कर रहा था: संत

आइसक्रीम खा रहे पुलिसवाले कह रहे हैं कि हम तो पहले से तैनात थे, मगर बाबा ने आग लगा लगी तो हम क्या करते. वो तो अधिकारियों को करना था. विजयदास के साथ जान देने की तैयारी करने वाले भैरो नाथ कह रहे हैं कि कृष्ण का आदि तीर्थ और क्रीडा स्थली हम बचा नहीं पा रहे थे और हमारी कोई मदद नहीं कर रहा था तो हम क्या करते.

Advertisement

मंत्री के बेटे साजिद के नाम भी माइंस

आजतक ने जब यहां चल रहे 45 खानों की पड़ताल की तो पता चला कि सबसे बड़ा और पहला माइंस तो राज्य के साइंस एवं टेक्नोलॉजी मंत्री जाहिदा खान के बेदे साजिद की है. मंत्री जाहिदा खान गुड़गांव रहती हैं और दो दिनों से संपर्क करने पर भी कहा जा रहा है कि वो बाहर हैं.

राजस्थान

जनप्रतिनिधियों की पार्टनरशिप

यहां आप जाएं तो लोग मंत्रियों, विधायकों और अफसरों के नाम से खान बता देते हैं कि ये किसका है. मगर ये सभी बेनामी पार्टनरशिप में चल रहा है. खनन के इस खेल में कांग्रेस, बीजेपी, बीसएपी और निर्दलीय सबके हाथ गंदे हैं. ऐसे में सरकार बचाने में लगी गहलोत सरकार इसे कैसे बंद करती.

नेम सिंह फौजदार स्थानीय नेता हैं. निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहे थे. वो बताते हैं कि सरकार के 45 लीज तो दिखाने के हैं, यहां 70 से ज्यादा अवैध खान चल रहे हैं. इसमें कांग्रेस-बीजेपी, बसपा समेत कई अधिकारियों के बेमानी खानें हैं.

1. कृष्ण की धरती को बचाने के लिए 2004 में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही आंदोलन शुरू हुआ. मगर रोकने के बजाए वो रिपोर्ट मंगाती रहीं.
2. 2007 में खनन रोकने के लिए साधुओं ने भरतपुर के बालाखेड़ा में बड़ा आंदोलन किया. बीजेपी ने आश्वासन दिया मगर कुछ हुया नहीं.
3. गहलोत सरकार ने 2009 में 75 फीसदी इलाके में खनन रोक दी. मगर जिन 25 फीसदी पर खनन हो रहा था, वहां नहीं रोका.
4. 2017 में फिर साधू- संतो ने आंदोलन किया. तब वसुंधरा सरकार ने खनन रोकने का समझौता किया. मगर रोका नहीं.
5. गहलोत सरकार के आने के बाद से 551 दिनों आंदोलन चल रहा था. मगर 2004 से अब तक आश्वासन ही मिल रहा था. अप्रैल 2021 में साधू समाज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला. समाधान नहीं हुआ तो सितंबर 2021 में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से लखनऊ में मिला. प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फोन किया तो अक्टूबर 2021 में फिर बैठक हुई.
7. 19 जुलाई 2022 को नारायण दास जी पासोपा में टावर पर चढ़ गए तो वार्ता के लिए पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह गए, मगर सरकार ने लिखित में घोषणा नहीं कि तो 20 जुलाई को संत विजयदास ने पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा ली.
8. 23 जुलाई को दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में बाबा विजयदास की मौत पर सरकार खनन रोकने का एलान कर दिया.
बाबा विजयदास के मरने के बाद इलाके में खनन बंद है. मगर सारी मशीनें वहीं पर रखी हुई है. आजतक की टीम को देखकर खान पर लगे लोग पहाड़ियों में चले गए. ऐसे में सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं.

Advertisement

बाबा विजयदास की मौत पर राजनीति भी खूब हो रही है. मगर सच्चाई है कि ब्रज के पहाड़ियों के खनन के मामले में वसुंधरा और गहलोत दोनों बराबर के दोषी हैं.

पुराणों में पर्वत का जिक्र

आदिबद्री पर्वत की जिक्र पांच हजार साल पुराने पुराणों में है. सआबी 18 पुराणों में इस पर्वत का जिक्र है जिसकी 84 कोस की परिक्रमा करने देश-विदेश से लोग आते हैं. कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण के माता-पिता बूढ़े हो गए और तीर्थ कराने के लिए कहा तो कृष्ण ने इसी जगह पर सभी देवी देवताओं को आह्वान कर बुला लिया था ताकि बुजुर्ग माता पिता को जाना नहीं पड़े. ऐसे में साधू संतों को डर सता रहा है कि खनन माफिया जिस तेजी के साथ खनन कर रहे हैं- ये पवित्र पहाड़ बचेगा ही नहीं.

Advertisement
Advertisement