पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की लिखी किताब सनराइज ओवर अयोध्या (Sunrise Over Ayodhya) पर बवाल मचा है. बीजेपी की तरफ से कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने आरोप लगा है, सलमान खुर्शीद द्वारा हिंदुत्व की परिभाषा को लेकर बहस तेज है. पक्ष में बोलने वाले हिंदुत्व को 2 भाग में विभाजित कर रहे हैं, एक अच्छा हिंदुत्व और दूसरा खराब हिंदुत्व, विरोध करने वाले इसे हिंदुत्व से घृणा वाली सोच बता रहे हैं.
आज हम आपको हिंदुत्व की अवधारणा के बारे में बताएंगे, आखिर ये शब्द पहली बार किसने इस्तेमाल किया, इस शब्द को लेकर विवाद क्यों जुड़े हैं, नेहरू से लेकर मोदी तक हिंदुत्व पर क्या सोच रखते हैं, आज इतिहास को टटोल कर ही आप ताजा विवाद को समझ पाएंगे. सबसे पहले बात विवाद के केंद्र बिंदु में मौजूद हिंदुत्व की.
हिंदुत्व की बोको हरम और ISIS से तुलना क्यों?
यहां आपको समझना है कि विवाद के पीछे हैं हिंदुत्व की अतार्किक तुलना, सलमान खुर्शी ने जिस बोको हरम से हिंदुत्व की तुलना की है, वो एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन हैं, नाइजीरिया में साल 2009 से लेकर अब तक, एक रिपोर्ट के मुताबिक साढे तीन लाख बेगुनाहों का कत्लआम कर चुका है. बोको हरम के खौफ से 30 लाख लोगों विस्थापित हो चुके हैं, लाखों लोगों को दूसरे मुल्कों में शरण लेनी पड़ी है.
आतंकी संगठन बोको हरम नरसंहार और अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है. आज भी बोको हरम को मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है. यही वजह है कि बीजेपी बोको हरम से हिदुत्व की तुलना पर कांग्रेस पर प्रहार कर रही है, इतना ही नहीं सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में हिंदुत्व की तुलना मारे जा चुके आतंकी आका अल बगदादी के संगठन ISIS से की है. वही आतंकी संगठन जिसने 2015 में दहशतगर्दी के दम पर बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा, सीरिया से लेकर इराक तक कत्ल-ओ-गारत की नई खौफनाक कहानी लिखी. एक रिपोर्ट के मुताबिक दस हजार से ज्यादा बेगुनाहों को आईएसआईएस आतंकियों ने मारा, इस्लामिक स्टेट का खात्मा करने के लिए अमेरिका समेत नाटो की वायुसेना ने कई सालों तक बम वर्षा करनी पड़ी. ऐसे खतरनाक आतंकी संगठन बोको हरम और ISIS से तुलना करके सलमान खुर्शीद विवादों में घिर गए हैं.
हिंदुत्व शब्द का क्या है इतिहास, क्यों है विवाद
आज जिस हिंदुत्व पर कांग्रेस और बीजेपी में जंग छिड़ी हुई है, उसी शब्द का इतिहास हम आपको बताते हैं. दरअसल इस शब्द का पहली बार साल 1892 में बंगाली साहित्यकार चंद्रनाथ बसु ने अपनी किताब- 'हिंदुत्व', में इस्तेमाल किया था. माना जाता है कि हिंदुत्व शब्द का पहली बार इस्तेमाल चंद्रनाथ बसु ने अपनी किताब में किया. 1892 में लिखी गई पुस्तक हिंदुओं को जागृत करने के उद्देश्य से लिखी गई थी. किताब के द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हिंदुओं को लामबंद करने की कोशिश की गई थी.
देश में कुछ बुद्धिजीवी लोगों का एक ऐसा वर्ग है जो हिंदुत्व को पहले से ही धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ समझता है. ये साबित करने की कोशिश करता है कि हिंदुत्व जोड़ने वाला नहीं बल्कि तोड़ने वाला विचार है. वजह है हिंदुत्व से जुड़ा सावरकर का नाम. दरअसल हिंदुत्व शब्द को असल पहचान विनायक दामोदर सावरकर ने दिलाई, उन्होंने 1923 में हिंदुत्व पर पुस्तक लिखी थी.
सावरकर ने प्रसिद्ध किताब हिंदुत्व’ लिखी थी. हिंदुत्व’ की विचारधारा ने ही हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जन्म दिया था. हिंदुत्व किताब में सावरकर ने हिंदू कौन है इसकी व्याख्या की थी. सावरकर के विचारों
के मुताबिक जो धर्म हिंदुस्तान के बाहर पैदा हुए, वो गैर हिंदू यानी ईसाई, इस्लाम, पारसी, यहूदी आदि है! जो धर्म भारत में पैदा हुए, वे हिंदू यानी वैदिक, पौराणिक, वैष्णव, शैव, शाक्त, जैन, बौद्ध, सिख, आर्यसमाजी, ब्रह्म समाजी आदि है।सावरकर के इसी विचार से कई लोग तब भी सहमत नहीं थे और आज भी नहीं हैं.
आज आपको हिंदुत्व के साथ-साथ हिंदू के बारे में भी जानना चाहिए. यूं भी हिंदू शब्द तो शुद्ध भौगोलिक ही था. माना जाता है कि सिंध से ही हिंद बना है. प्राचीन फारसी में ‘स’ को ‘ह’ बोला जाता था, जैसे सप्ताह को हफ्ता! सिंध का हिंद हो गया. स्थान का स्तान हो गया. हिंद और स्तान मिलकर ‘हिंदुस्तान’ बन गया. हिंद से ही ‘हिंदू’, शब्द निकले हैं. बड़ी बात ये है कि हिंदू शब्द वेदों, दर्शनशास्त्रों, उपनिषदों, आरण्यकों, रामायण, महाभारत या गीता में कहीं भी हिंदू शब्द कभी नहीं मिलता है.
हिंदू और हिंदुत्व की व्याख्या राजनीतिक पार्टियों अपने हिसाब से करती आई हैं, ये विवाद आज से नहीं बल्कि
आजादी के पहले से चला रहा रहा है. अगर धर्म का चश्मा उतारकर देखें तो हिंदुत्व या फिर हिंदू ऐसे शब्द हैं, जो भारतीय राजनीति में नेताओं को राज कराते आए हैं, कभी हिंदुत्व का भय दिखाकर तो कभी हिंदुत्व की जय बोलकर.
हिंदुत्व पर क्या थे नेहरू के विचार?
हिंदुत्व पर जारी घमासान पर बीजेपी हमलावर हैं, हिंदुत्व पर RSS और नरेंद्र मोदी क्या सोचते हैं, आपको आगे
बताएंगे, उससे पहले बताते हैं हिंदू और हिंदुत्व पर नेहरू के विचार क्या थे, क्या आज नेहरू के विचारों और कांग्रेसी के वरिष्ट नेताओं के विचारों में कोई अंतर है. इस समझने के लिए आपको आज जवाहर लाल नेहरू की आत्मकथा 'मेरी कहानी' में हिंदू धर्म की व्याख्या के देखना होगा.
मैं समझता हूं कि हिंदू जाति में तरह-तरह के और अक्सर परस्पर विरोधी प्रमाण और रिवाज पाए जाते हैं. इस संबंध में यहां तक कहा जाता है कि हिंदू धर्म को साधारण अर्थ में मजहब नहीं कह सकते. फिर भी कितनी गजब की दृढ़ता उसमें है. अपने आप को जिंदा रखने की कितनी जबरदस्त ताकत.
वहीं हिंदुत्व पर पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था, 'हजारों साल पुरानी ये संस्कृति और परंपरा है. मुनियों की तपस्या से निकला ज्ञान का भंडार है. हिंदुत्व हर युग की हर कसौटी पर खरा उतरा है. हिंदुत्व का ज्ञान हिमाचल से भी ऊंचा, समुद्र से भी गहरा है. ऋषि-मुनियों ने भी कभी दावा नहीं किया कि उनको हिंदू और हिंदुत्व का पूरा ज्ञान है.'
इनपुट - आजतक ब्यूरो