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UP: अखिलेश की चाचा शिवपाल और राजभर को दो टूक, 'जहां मिले सम्मान, वहां जा सकते हैं'

समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव को लेकर बड़ा फैसला लिया है. पार्टी ने शनिवार को एक खुला खत लिखा और इसमें शिवपाल सिंह यादव को साफ कह दिया है कि वे पार्टी छोड़ सकते हैं. बताते चलें कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रसपा के अध्यक्ष और चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात की थी और गठबंधन किया था.

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यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा ने शिवपाल और राजभर की पार्टी से गठबंधन किया था.
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा ने शिवपाल और राजभर की पार्टी से गठबंधन किया था.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विस चुनाव से पहले सपा से शिवपाल का हुआ था गठबंधन
  • चुनाव के बाद दोनों के बीच बढ़ती गईं दूरियां

समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव को लेकर बड़ा फैसला लिया है. पार्टी ने शनिवार को एक खुला खत लिखा और इसमें शिवपाल सिंह यादव को जवाब दिया है. सपा ने पत्र में साफ कहा है कि शिवपाल कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं. पार्टी ने लिखा- माननीय शिवपाल सिंह यादव जी, अगर आपको लगता है, कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं.

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बताते चलें कि शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव पर सम्मान ना देने का आरोप लगाया था. अब सपा ने चाचा को शिवपाल लिखकर जवाब दिया है. इसके साथ ही सपा ने ओमप्रकाश राजभर को भी चिट्ठी लिखी है. इसमें राजभर को पार्टी छोड़ने का साफ संकेत दे दिया है. पत्र में लिखा- ओमप्रकाश राजभर जी, समाजवादी पार्टी लगातार भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ रही है. आपका भारतीय जनता पार्टी के साथ गठजोड़ है और लगातार भाजपा को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं. अगर आपको लगता है, कहीं ज्यादा सम्मान मिलेगा तो वहां जाने के लिए आप स्वतंत्र हैं.

 

इसके बाद से राजनीतिक माहौल गरमा गया है. बीजेपी ने सपा पर हमला बोला है.

जिसने पिता को गच्चा दिया, वो सहयोगियों के साथ कैसे रहेगा: बीजेपी

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सपा की शिवपाल को चिट्ठी लिखे जाने पर भाजपा ने तंज कसा है. प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सपा का मूल चरित्र ऐसा ही रहा है. जिसका भी हाथ पकड़ा, उसका हाथ झटक भी दिया है. पहले कांग्रेस, बसपा और अब शिवपाल और राजभर. जिसने अपने पिता को गच्चा दिया हो, वह अपने सहयोगियों के साथ कैसे रह सकता है.

सपा के ट्वीट के बाद यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाया. केशव ने कहा- 

केशव प्रसाद मौर्य

बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात की थी और गठबंधन किया था. शिवपाल ने सपा के सिंबल पर जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. हालांकि, उसके बाद शिवपाल यादव और अखिलेश के बीच दूरियां बढ़ती गईं.

सबसे पहले शिवपाल यादव की तरफ से आरोप लगाया कि अखिलेश ने उन्हें विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया. जबकि वे सपा से विधायक हैं. उसके बाद बयानबाजी का दौर चलता रहा. हाल ही में दोनों के बीच खुलकर बगावत देखने को मिली. राष्ट्रपति चुनाव में सपा ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन दिया. जबकि शिवपाल यादव ने खुलकर सिन्हा का विरोध किया.

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शिवपाल ने एक खुला पत्र लिखा और कहा कि मुलायम सिंह यादव को ISI का एजेंट कहकर अपमानित करने वाले को कट्टर सपाई कभी समर्थन नहीं करेगा. उन्होंने अखिलेश को समर्थन देने से पहले एक बार फिर विचार करने के लिए कहा था.

बाद में अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव पर हमला किया था और 'दिल्ली से (भाजपा द्वारा) एक 'इशारा' (डायरेक्शन) था, जिसके बाद एक उपमुख्यमंत्री ने एक अखबार के पुराने आर्टिकल को ट्वीट किया, जिसमें मुलायम पर सिन्हा की 'आईएसआई एजेंट' की टिप्पणी के बारे में लिखा गया था. उसके बाद इसे (शिवपाल यादव द्वारा) प्रसारित किया गया.' अखिलेश ने उन्हें भगवा पार्टी द्वारा 'नेताजी' (मुलायम सिंह यादव) और सपा के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के बारे में याद दिलाया. 

अखिलेश ने कहा- 'चाचा (शिवपाल यादव) को हाल के यूपी चुनावों के दौरान भाजपा की भाषा को याद करना चाहिए. भाजपा की भाषा हमेशा नेताजी और समाजवादी के प्रति खराब रही है.'

6 साल से चाचा-भतीजे में तनातनी 

अखिलेश और शिवपाल 2016 में अलग होने के बाद फरवरी-मार्च उत्तर प्रदेश के चुनावों में एक साथ आए थे. हालांकि, सपा की हार के बाद फिर से दोनों के रास्ते अलग हो गए. अब बयानबाजी ने एक बार फिर माहौल को गरमा दिया है.

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राजभर एक एक राजनीतिक 'बेताल'....

समाजवादी पार्टी गठबंधन से ओम प्रकाश राजभर से अलग होने पर AIMIM प्रवक्ता आसिम वकार का बयान आया है. उन्होंने ओपी राजभर को एक राजनीतिक ‘बेताल’ बताया है, जो राजनीति के लिए विक्रम के कंधे बदलते रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसकी जिम्मेदारी अखिलेश यादव की है. राजभर की पार्टी के 6 विधायक बनाने में मुसलमानों की बड़ी भूमिका है. उन्होंने इसलिए राजभर की पार्टी को वोट दिया क्योंकि सपा के साथ थे. 

 

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