भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी समीर वानखेड़े ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें 2022 में एनसीपी नेता नवाब मलिक के खिलाफ दर्ज मानहानि के मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से करवाने की मांग की गई है.वानखेड़े की याचिका उनके वकील सना रईस खान के जरिए दायर की गई है. याचिका में कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से जांच कराने का अनुरोध किया गया है. वानखेड़े का आरोप है कि मुंबई पुलिस ने एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अब तक नवाब मलिक को गिरफ्तार नहीं किया है.
याचिका में मलिक के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी कुछ धाराएं जोड़ने की मांग की गई है. समीर वानखेड़े, जो वर्तमान में अतिरिक्त आयुक्त, करदाता सेवा महानिदेशालय (डीजीटीएस) के पद पर हैं, अनुसूचित जाति से आते हैं और खुद को महार जाति का बताते हैं. याचिका में यह भी मांग की गई है कि कोर्ट गोरेगांव पुलिस को निर्देश दे कि वह एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच में उठाए गए कदमों की रिपोर्ट पेश करे.
वानखेड़े ने 2022 में गोरेगांव पुलिस स्टेशन में नवाब मलिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. उनका आरोप है कि मलिक ने उनकी और उनके परिवार की जाति और नस्ल के आधार पर सोशल मीडिया और टीवी पर उन्हें बदनाम किया. वानखेड़े ने अक्टूबर 2021 में अनुसूचित जाति आयोग, नई दिल्ली में भी शिकायत दर्ज कराई थी.
मामला तब शुरू हुआ था, जब वानखेड़े ने जनवरी 2021 में नवाब मलिक के दामाद समीर खान को गिरफ्तार किया था. वानखेड़े उस समय नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर थे, वानखेड़े का कहना है कि खान की गिरफ्तारी के बाद मलिक ने उनके और उनकी जाति के खिलाफ अपमानजनक बयान देना शुरू कर दिया.
वानखेड़े के पिता ने भी 2021 में मलिक के खिलाफ हाई कोर्ट में मानहानि का मामला दर्ज कराया था, जिसमें कोर्ट ने मलिक को वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक बयान देने से रोकने का आदेश दिया था. लेकिन मलिक ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिसके चलते अवमानना याचिका भी दायर की गई.
वानखेड़े का आरोप है कि हाल ही में 27 अक्टूबर 2024 को दिए गए एक साक्षात्कार में मलिक ने फिर से उनके खिलाफ अपमानजनक बयान दिए और उनकी जाति प्रमाणपत्र की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए. याचिका में कहा गया है कि मलिक लगातार मानहानि करते आ रहे हैं और कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं. यह न केवल आपराधिक है बल्कि अदालत की अवमानना भी है, जिसे सख्ती से निपटाया जाना चाहिए.