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MSP पर गठित केंद्र की कमेटी को संयुक्त किसान मोर्चा ने किया खारिज, कहा-BJP-RSS के लोगों को बनाया सदस्य

किसान आंदोलन की वजह से पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना का ऐलान किया था. इसी संबोधन में ही उन्होंने MSP को लेकर एक कमेटी को बनाने का वादा किया था. इसी के तहत सोमवार को इस कमेटी का गठन किया गया है.

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संयुक्त किसान मोर्चा ने कमेटी में और सदस्य बढ़ाने की मांग की (फाइल फोटो)
संयुक्त किसान मोर्चा ने कमेटी में और सदस्य बढ़ाने की मांग की (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दावा: कमेटी में सिर्फ तीन सीटें किसानों के लिए छोड़ीं
  • MSP की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए कमेटी गठित की

संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार की MSP कमेटी को मंगलवार को खारिज कर दिया. सरकार ने सोमवार को ही तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा, "सरकार ने एक कमेटी बनाई है, जिसमें उन लोगों को सदस्य बनाया गया है जिन्होंने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया था.''

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उन्होंने कहा कि कमेटी में किसानों के लिए तीन सीटें छोड़ी गईं और बाकी सभी सदस्य बीजेपी और आरएसएस के करीबी हैं. ऐसे में हम इस कमेटी में क्यों शामिल होंगे.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल ही ऐलान किया था कि सरकार द्वारा एमएसपी के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा. सरकार के मुताबिक एमएसपी की प्रक्रिया को और ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए इस कमेटी का गठन किया गया है. 

MSP गारंटी कानून पर बात ही नहीं हो रही

योगेंद्र यादव ने कहा, "संयुक्त किसान मोर्चा की मुख्य मांग MSP गारंटी कानून बनाना है, इसी मांग को लेकर कमेटी का गठन किया जाना था लेकिन इस मांग का कहीं जिक्र ही नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि MSP कमेटी की क्या जरूरत है, अगर वे हमारी मूल मांग को नहीं समझ सकते हैं.

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वहीं किसान संघ के नेता हन्नान मुल्ला ने कहा, "संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों का कमेटी में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं है. हम कमेटी को सिरे से खारिज करते हैं क्योंकि समिति में पहले से ही बीजेपी के और लोग हैं."

किसानों के लिए कमेटी में हों और सीटें

भारतीय किसान संघ (असली) के प्रवक्ता प्रबल प्रताप शाही ने कमेटी को स्वीकार्य बनाने के लिए किसान मोर्चा के सदस्यों के लिए और सीटों की मांग की है. उन्होंने कहा, "किसान मोर्चा के लिए केवल तीन सीटें और बाकी जगह उन लोगों के लिए है, जिन्होंने कठोर कृषि कानूनों का समर्थन किया था.''

उन्होंने कहा कि यह कमेटी हमारे किसी काम की नहीं है क्योंकि ऐसी समितियां केवल बहुमत पर काम करती हैं. अगर हमारी संख्या कमेटी में कम है तो हम कैसे अपनी आवाज को गुलंद कर पाएंगे. इसके अलावा, MSP गारंटी कानून को लेकर भी कोई जिक्र नहीं किया गया है.

किसान आंदोलन के वक्त उठी थी मांग

पिछले साल पूरे देश में किसान आंदोलन चला था. राकेश टिकैत ने उस आंदोलन की अगुवाई की थी और किसानों के एक बड़े वर्ग को मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा कर दिया था. तब किसान तीनों कृषि कानून का विरोध कर रहे थे. वे उन तीनों की कानूनों की वापसी चाहते थे.

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उस किसान आंदोलन की वजह से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करना पड़ा था. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की तपस्या में कुछ कमी रह गई थी. उसी संबोधन में उन्होंने एमएसपी को लेकर एक कमेटी बनाने की बात भी कही थी. 

सरकार ने कमेटी में इन्हें किया शामिल

कमेटी का चेयरमेन पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल को बनाया गया है. इसके अलावा कृषि अर्थशास्त्री सुखपाल सिंह, सी.एस.सी शेखर, आईसीएआर के महानिदेशक, चार राज्य सरकारों- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिवों को भी कमेटी में शामिल किया गया है.

सरकार ने इस कमेटी में दूसरे किसान संगठनों को भी जगह दी है. भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष डाक्टर कृष्णवीर चौधरी, गुणवंत पाटिल, प्रमोद कुमार चौधरी, सैय्यद पाशा पटेल को भी इस पैनल का हिस्सा बनाया गया है.

(रिपोर्ट-अभिषेक आनंद)

 

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