तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे किसान घर वापसी की तैयारी में हैं. गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने आंदोलन खत्म करने का फैसला किया था. अब संगठन ने अगले साल 15 जनवरी को एक बैठक बुलाई है, जिसमें देखा जाएगा कि क्या सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया या नहीं?
संयुक्त किसान मोर्चा की कोर समिति के सदस्य दर्शन पाल ने कहा कि 15 जनवरी की बैठक में यह भी चर्चा होगी कि SKM को राष्ट्रीय स्तर के मोर्चा के रूप में कैसे पेश किया जाए. उन्होंने ये भी कहा कि जो किसान नेता राजनीति में जाना चाहते हैं, उन्हें संगठन छोड़ देना चाहिए, ये संगठन गैर राजनीतिक रहेगा.
5 प्रतिशत जीत बाकी है...
दर्शन पाल ने कहा कि SKM ने 19 नवंबर को 60 प्रतिशत जीत हासिल की थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की थी. गुरुवार (9 दिसंबर) को 35 प्रतिशत जीत हासिल की. उन्होंने कहा कि शेष 5 प्रतिशत जीत तब प्राप्त होगी, जब सभी मांगें मान ली जाएंगी.
दर्शन पाल ने कहा कि पंजाब में स्थिति बदलने के लिए किसानों को अब एक दबाव समूह बनाना चाहिए न कि राजनीतिक दल. संयुक्त किसान मोर्चा में 40 किसान संघ शामिल हैं, जिसने आंदोलन का नेतृत्व किया.
बता दें कि दिल्ली की सीमा पर चल रहा किसान आंदोलन मोदी सरकार के गले की फांस बन गया था. गुरु नानक जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून की वापसी का ऐलान किया था और शीतकालीन सत्र में उसे अमलीजामा भी पहना दिया गया था. लेकिन, किसान संगठन एमएसपी की गारंटी सहित तमाम किसानों से जुड़ी मांगों को लेकर अड़े थे. अब मोदी सरकार ने किसानों की लगभग सभी मांगें मान ली हैं, जिसकी कृषि सचिव के हस्ताक्षर से चिट्ठी जारी कर दी गई है.
(इनपुट- PTI)