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किसान संगठनों की PM मोदी को चिट्ठी, कृषि कानूनों पर फिर से बातचीत शुरू करने की मांग

संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की है. साथ ही कहा कि किसान महामारी में किसी के भी स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाल रहे, लेकिन वे आंदोलन को भी नहीं छोड़ सकते, क्योंकि यह जीवन-मृत्यु और आने वाली पीढ़ियों का मामला है.

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कृषि कानूनों के खिलाफ हैं किसान (फाइल फोटो)
कृषि कानूनों के खिलाफ हैं किसान (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • PM मोदी को किसान संगठनों की चिट्ठी
  • फिर से बातचीत शुरू करने की मांग
  • कृषि कानूनों के खिलाफ हैं किसान

कोरोना संकट के बीच तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए हैं. ऐसे में किसान आंदोलन को स्थगित करने की बात हो रही, लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कर दिया ये आंदोलन नहीं रुकेगा. साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha) ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कृषि कानूनों पर किसानों से फिर से बात करने की मांग की. 

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आपको बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आज (शुक्रवार) पीएम मोदी को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की है. साथ ही कहा कि किसान महामारी में किसी के भी स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाल रहे, लेकिन वे आंदोलन को भी नहीं छोड़ सकते, क्योंकि यह जीवन-मृत्यु और आने वाली पीढ़ियों का मामला है. 

पीएम मोदी को भेजे पत्र में किसान नेताओं ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए और किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए. किसानों द्वारा खारिज किए गए कानूनों को लागू करना देश के लोकतांत्रिक और मानवीय लोकाचार के खिलाफ है. संयुक्त किसान मोर्चा शांतिपूर्ण आंदोलन में विश्वास रखता है और शांतिपूर्ण विरोध जारी रखेगा. 

किसान मोर्चा ने कहा कि कोई भी लोकतांत्रिक सरकार उन तीन कानूनों को निरस्त कर देती, जिन्हें किसानों द्वारा खारिज कर दिया गया, जिनके नाम पर ये बनाए गए थे. साथ ही अबतक किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी दे दी गई होती. किसान मोर्चा ने आगे कहा कि किसानों के साथ एक गंभीर और ईमानदार बातचीत फिर से शुरू करने की जिम्मेदारी आप (सरकार) पर है. 

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गौरतलब है कि देश इस समय कोरोना सकंट से जूझ रहा है. कोरोना के खतरे के बीच दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान अब भी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग लेकर बैठे हैं. ऐसे में मांग उठ रही है कि किसानों को अपना विरोध-प्रदर्शन कोरोना संकट के मद्देनजर रद्द कर देना चाहिए. लेकिन इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने साफ कहा कि ऐसा नहीं होने वाला है. उन्होंने कहा कि क्या सरकार ये लिखित में दे सकती है कि इससे कोरोना संकट खत्म हो जाएगा.

राकेश टिकैत ने कहा कि यह आंदोलन किसी भी हालत में नहीं खत्म होगा. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि क्या कोरोना चुनावी रैलियों में नहीं फैल रहा था, ये सिर्फ किसान आंदोलन में ही फैल रहा है. किसान आंदोलन नहीं रुकेगा. 

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