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प्रसाद का वितरण, मंदिरों का मैनेजमेंट और धर्मांतरण पर रोक... सनातन बोर्ड के एजेंडे में कौन-कौन से मुद्दे, क्या नियम-कायदे चाहते हैं संत?

महाकुंभ में आए संतों की मांग है कि भारत में बनने वाला सनातन बोर्ड प्रसाद बनाने से लेकर वितरण तक की पूरी व्यवस्था देखे ताकि तिरुपति बालाजी मंदिर जैसा वाकया फिर से न हो. साथ ही ये बोर्ड मंदिरों में प्रवेश का अधिकार सिर्फ हिंदुओं को दे. इसके अलावा सनातन बोर्ड देश के मंदिरों की संपत्ति का मैनेजमेंट करे.

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सनातन धर्म बोर्ड का प्रारुप तैयार (फोटो डिजाइन-आजतक)
सनातन धर्म बोर्ड का प्रारुप तैयार (फोटो डिजाइन-आजतक)

महाकुंभ में हिन्दुओं के लिए सनातन बोर्ड की मांग और मुखर हो गई है. 27 नंवबर को प्रयागराज में संतों की एक विशाल धर्म संसद हुई. इसमें हिन्दुओं के लिए सनातन बोर्ड बनाने और उपासना स्थल कानून को खत्म करने की मांग को जोर-शोर से उठाया गया. सनातन बोर्ड मंदिरों को सरकार के कब्जे से मु्क्त कराएगा. 

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सनातन धर्म संसद की अध्यक्षता कर रहे निम्बार्क पीठाधीश्वर श्याम शरण देवाचार्य ने कहा कि सनातन बोर्ड न केवल सनातन धर्म की रक्षा करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा. उन्होंने कहा, "तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों में बाहरी लोगों की घुसपैठ और हमारी आस्था को भ्रष्ट करने से रोकने के लिए बोर्ड बहुत महत्वपूर्ण है. एक समय ईरान, अफगानिस्तान, नेपाल और भूटान जैसे देश सांस्कृतिक रूप से भारत के साथ जुड़े हुए थे. अगर हम कार्रवाई नहीं करते हैं, तो भारत भी हिंदुओं के हाथों से निकल सकता है."

उद्योगों के लिए CII और FICCI तो हिन्दुओं के लिए सनातन बोर्ड क्यों नहीं

इस्कॉन समूह से जुड़े गौरांग दास जी महाराज ने सनातनियों के लिए एक एकीकृत निकाय की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि "अगर उद्योगों के लिए सीआईआई और फिक्की जैसे संगठन और चिकित्सा के लिए आईएमए जैसे संगठन मौजूद हैं, तो हमारे पास 'सनातनियों' की सुरक्षा और उन्हें एकजुट करने के लिए ऐसा ही एक निकाय क्यों नहीं हो सकता?."

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गौरांग दास ने इस बात पर जोर दिया कि शांति, सुरक्षा और न्याय के लिए सभी सनातनियों को सनातन बोर्ड के बैनर तले एकजुट होना चाहिए. 

किस तरह के सनातन बोर्ड की मांग 

27 जनवरी 2025 को प्रयागराज कुंभ में पारित प्रस्ताव के अनुसार इस कानून को सनातन हिंदू बोर्ड अधिनियम कहा जाएगा. इसे केंद्र सरकार संसद से पास करेगी. 

संतों के अनुसार सनातन हिंदू बोर्ड को एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा. 

इसका काम हिंदू मंदिरों, उनकी संपत्तियों और उनके धन की देख-रेख करना होगा. सनातन बोर्ड मंदिरों में वैदिक सनातन पूजा पद्धति, सनातनी परंपरा, सनातनी हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. 

इस बोर्ड के सदस्य वही व्यक्ति होंगे जो हिंदुत्व में विश्वास रखते हो और सनातन परंपरा की सेवा करने की प्रबल इच्छा रखते हों. 

कौन कौन होगा शामिल, क्या करेगी काम

देश के चारों शंकराचार्य के संरक्षण में केंद्रीय सनातन बोर्ड का गठन किया जाएगा. इसमें 11 सदस्य होंगे. 

जिनमें 4 सदस्य चारों प्रमुख जगदगुरु होंगे. 3 सदस्य सनातनी अखाड़ों के प्रमुख होंगे. 1 सदस्य संरक्षक मंडल द्वारा नामित किया जाएगा. 3 सदस्य प्रमुख संत/कथाकार अथवा धर्माचार्य होंगे. 

इसके अलावा सनातन बोर्ड का एक सहयोगी मंडल होगा इसमें 11 सदस्य होंगे. इनमें 2 सबसे बड़े हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधि, प्रमुख कथाकार, मंदिरों और गौशालों से जुड़े प्रमुख व्यक्ति होंगे. 

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इसके अलावा सनातन बोर्ड का एक सलाहकार मंडल होगा. इसमें सेवानिवृत न्यायधीश, रिटायर्ड आईएएस,मीडिया क्षेत्र का सनातनी, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे. 

सनातन बोर्ड मंदिरों की संपत्ति का मैनेजमेंट करेगी. 

प्रत्येक बड़े मंदिर से एक अस्पताल का संचालन किया जाएगा. 

आर्थिक रूप से कमजोर हिन्दू परिवारों को मदद दी जाएगी ताकि धन के अभाव से होने वाले धर्म परिवर्तन को रोका जाए. 

छोटे मंदिरों की आर्थिक सहायता की जाएगी. 

सनातन बोर्ड पुजारियों की नियुक्ति करेगा. जिसमें पारंपरिक योग्यताओं और धार्मिक ज्ञान के मानदंडों का पालन किया जाएगा. 

यदि कोई व्यक्ति किसी मंदिर की संपत्ति पर अवैध कब्जा करता है तो जिला मजिस्ट्रेट को तत्काल कब्जा हटाने का आदेश देने का अधिकार होगा.

सनातन मंदिरों में प्रवेश का अधिकार तय करेगा और बोर्ड की देखरेख में भी प्रसाद प्रबंधन होगा. ताकि तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद को लेकर जैसी गड़बड़ी हुई है वैसी फिर से न हो.  

सनातन बोर्ड, वक्फ बोर्ड द्वारा 'जबरन कब्जा' की गई भूमि की मुक्ति एवं असंवैधानिक अधिकारों की समाप्ति के लिए प्रयास करेगा.

सनातन बोर्ड सनातन विरोधी चलचित्र/बयानबाजी/कॉमेडी करने वालों को दंडित करने के लिए कानूनी कदम उठाएगा. 

मंदिर प्रशासन में केवल हिन्दुओं को कार्य करने की अनुमति होगी.

भारत में वक्फ बोर्ड क्यों है-देवकीनंदन ठाकुर

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इस मुद्दे पर लंबे समय से आंदोलन चला रहे कथाकार और उपदेशक देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन संस्कृति के पतन को मैकाले की शिक्षा नीतियों से जोड़ा. उन्होंने कहा कि इस पद्धति की वजह से भारतीय परंपराओं की जगह अंग्रेजी भाषा को ले लिया. देवकीनंदन ठाकुर ने चेतावनी दी कि वक्फ बोर्ड के माध्यम से भारत पर कब्जा करने की साजिश रची जा रही है. 

देवकीनंदन ठाकुर ने सवाल किया कि पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा खाली की गई भूमि वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में है. लेकिन भारत आए हिंदुओं की भूमि का क्या हुआ? पाकिस्तान में हिंदू बोर्ड क्यों नहीं है?

उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान या बांग्लादेश में ऐसे बोर्ड नहीं हैं, तो भारत में वक्फ बोर्ड क्यों है, उन्होंने दावा किया कि तिरुपति बालाजी जैसे मंदिर सरकार को सालाना 500 करोड़ रुपये का योगदान देते हैं, जबकि सरकार को सनातन धर्म के लिए पहल करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, "अगर सनातन बोर्ड बनता है, तो हर मंदिर की अपनी गौशाला, गुरुकुल और अस्पताल होगा और सभी दान सनातन धर्म के भीतर ही रहेंगे."

प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह

जगद्गुरु विद्या भास्कर जी महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम को खत्म करने का आग्रह करते हुए कहा कि हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों की रक्षा के लिए बिना किसी परामर्श के यह कानून लागू किया गया था. 

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 उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में अपने बहुमत का इस्तेमाल पूजा स्थल अधिनियम को खत्म करने के लिए करना चाहिए. उस समय की सरकार ने बिना किसी चर्चा के इस कानून को पारित कर दिया और इसे देश पर थोप दिया." उन्होंने आगे कहा कि सभी जीवों का अस्तित्व सनातन धर्म के संरक्षण पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, "सनातनियों की रक्षा के लिए सनातन बोर्ड की स्थापना समय की मांग है."

सनातन धर्म संसद में हरिद्वार से चिन्मयानंद बापू, महामंडलेश्वर आशुतोष नंद महाराज, राघवाचार्य जी महाराज, जैन संत विवेक मुनि जी महाराज, हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास और अयोध्या से वल्लभाचार्य जी महाराज सहित कई संतों और धार्मिक नेताओं ने भाग लिया. इन सभी ने सनातन बोर्ड की स्थापना के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया.
 

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