संदेशखाली हिंसा के मुख्य आरोपी टीएमसी नेता शाहजहां शेख को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. पुलिस ने शाहजहां शेख को देर रात गिरफ्तार किया था, जिसके बाद आज सुबह करीब 10.30 बजे बशीरहाट कोर्ट में पेश किया था, जहां से पुलिस ने 14 दिन की कस्टडी की मांग थी.
शाहजहां शेख की पेशी से पहले किसी भी अनहोनी से बचने के लिए कोर्ट के बाहर सुरक्षा-व्यवस्था चुस्त थी. इसके अलावा संदेशखाली और शाहजहां शेख के घर के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था.
शुभेंदु ने शाहजहां को बताया- छोटा दाऊद
वहीं मीडिया से बात करते हुए पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शाहजहां शेख को छोटा दाऊद बताया है. उन्होंने कहा कि जनता के रोष, मीडिया की मेहनत, बीजेपी की लड़ाई और संदेशखाली की महिलाओं की लड़ाई से शाहजहां शेख की गिरफ्तारी हुई है. ये कोई कोन्सिंडेंट नहीं है.
शुभेंदु अधिकारी आज फिर संदेशखाली में पीड़ित महिलाओं से मिलने के लिए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें पुलिस ने एक बार फिर वहां जाने से रोक दिया है. शुभेंदु अधिकारी को हाई कोर्ट से इजाजत मिली है. जेलियाखाली और हरदरपाड़ा जाने वाले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक किया है.
कब चर्चा में आया शाहजहां शेख?
शाहजहां शेख की पहचान टीएमसी के एक ताकतवर और प्रभावशाली नेता के तौर पर है. वो संदेशखाली यूनिट का टीएमसी अध्यक्ष भी रह चुका है. पहली बार शाहजहां शेख उस समय चर्चा में आया, जब 5 जनवरी को ईडी की टीम शाहजहां से बंगाल राशन वितरण घोटाला मामले में पूछताछ करने पहुंची थी, उस समय उसके गुर्गों ने ईडी की टीम पर हमला कर दिया था. उसके बाद से ईडी लगातार पूछताछ के लिए शाहजहां शेख को समन जारी कर रही है, लेकिन ईडी टीम पर हमले के बाद से शाहजहां शेख फरार है और उसकी फरारी को 55 दिन हो चुके हैं.
TMC बोली- कोर्ट के आदेश के 72 घंटों में गिरफ्तारी
वहीं टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने बताया कि आज सुबह शाहजहां शेख की गिरफ्तारी हो चुकी है. जैसा कि हमारे जनरल सेक्रेटरी अभिषेक बनर्जी ने बताया था कि यह कलकत्ता हाई कोर्ट ने शाहजहां की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. हमने यह भी वादा किया था कि अगर हाई कोर्ट पुलिस के हाथ खुले छोड़ दे तो शेख शाहजहां को कुछ ही दिनों में गिरफ्तार कर लिया जाएगा. 26 फरवरी को कोर्ट ने गिरफ्तारी को लेकर छूट दी थी और 72 घंटे के अंदर बंगाल पुलिस ने शाहजहां को गिरफ्तार कर लिया.
हालांकि देशभर में विरोध प्रदर्शन के बावजूद मोदी सरकार ने बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया और उन्हें लोकसभा सदस्य के तौर पर बहाल रखा गया. ममता सरकार और मोदी सरकार में यही अंतर है.