आर्म्स डीलर संजय भंडारी के भारत आने का रास्ता साफ हो गया है. यूके कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को हरी झंडी दिखा दी है. अब अगर भंडारी द्वारा हाई कोर्ट में उस फैसले को चुनौती नहीं दी जाती है तो उसकी जल्द ही भारत वापसी संभव है. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारत में उसके खिलाफ कई मामले चल रहे हैं. उस पर रक्षा सौदों में रिश्वत लेने का भी आरोप है और समय-समय पर उसके रॉबर्ट वाड्रा से भी कनेक्शन सामने आए हैं. आइए संजय भंडारी की कुंडली खंगालते हैं.
कौन है संजय भंडारी?
संजय भंडारी एक जमाने में कभी लग्जरी कार आयात करने का काम करता था, लेकिन मजबूत राजनीतिक कनेक्शन के दम पर वो रक्षा सौदों का एक बड़ा बिचौलिया बन गया था. वो इस मामले में भी विदेशी कंपनियों के लिए लॉबिइंग करने का काम करता था. सबसे पहले संजय भंडारी ने साल 2008 में ऑफेसट इंडिया सलूशंज (OIS) की स्थापना की थी. वो इसका मेन प्रमोटर था. उसकी कंपनी दुनिया भर में होने वाले हर आर्म्स शोज में शामिल होती थी. हर डिफेंस शोज में फेसट इंडिया सलूशंज के सबसे बड़े स्टॉल लगाए जाते थे. कहा जाता है कि उसकी तरफ से 'ऑफसेट इंडिया सॉल्युशंस' (OIS) की स्थापना बड़े रक्षा सौदों का लाभ उठाने के लिए ही की गई थी.
रॉबर्ड वाड्रा से क्या कनेक्शन?
अब सवाल ये आता है कि संजय भंडारी का कनेक्शन कांग्रेस और रॉबर्ड वाड्रा से क्यों जोड़ा जाता है? असल में आईबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक संजय भंडारी यूपीए सरकार में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल सहित कई अन्य कांग्रेसी नेताओं के भी संपर्क में था. रायबरेली स्थित इंदिरा गांधी सिविल एविएशन एकेडमी के डायरेक्टर से भी कई मौकों पर उसने बात की थी. बड़ी बात ये थी कि भंडारी के मोबाइल फोन से रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ब्लू ब्रिज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के रजिस्टर्ड नंबर पर कई बार कॉल की गई थी. इस वजह से भी भंडारी के साथ वाड्रा का नाम जोड़ा जाता है. बीजेपी तो आरोप लगाती है कि भंडारी ने वाड्रा के लिए कई बार एयर टिकट बुक कराया है और उनके लंदन स्थित मकान के लिए इंटीरियर डेकोरेशन पर पैसे खर्च किए हैं.
2016 के बाद बढ़ीं मुश्किलें
लेकिन फिर 2016 में जब भंडारी के खिलाफ कानून का शिकंजा कसता गया, वो विदेश भाग गया. असल में साल 2016 में जब आयकर विभाग ने संजय भंडारी के आवास पर रेड मारी थी, वहां से रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज प्राप्त हुए थे. तब इसे आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का संभावित उल्लंघन माना गया था. उसके बाद ही भंडारी के खिलाफ लुक ऑउट नोटिस जारी हुआ था. भारत सरकार की तरफ से भी कई मौकों पर ब्रिटेन की सरकार से अपील हुई थी कि भंडारी का प्रत्यर्पण किया जाए. फिर 16 जून, 2020 को ब्रिटेन की तत्कालीन गृहमंत्री प्रीति पटेल ने भंडारी के प्रत्यर्पण आग्रह को स्वीकार कर लिया था और अगले महीने उसकी गिरफ्तारी हो गई. अब वेस्टमिंस्टर कोर्ट के फैसले ने भंडारी की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा दी हैं.