सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) यानी दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र. यहां पर संदेशों का आदान-प्रदान करने में काफी दिक्कत आती थी. लेकिन अब भारतीय सेना ने एक कदम आगे बढ़ते हुए ग्लेशियर पर सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा शुरू कर दी है. इस इंटरनेट सेवा की शुरुआत 18 सितंबर 2022 यानी आज से ही शुरू की गई है.
इस काम के लिए जरूरी यंत्रों, एंटीना आदि को लगाने का काम भारतीय थल सेना (Indian Army) के Fire & Fury Corps ने किया है. सेना के इस विंग ने कहा कि दुनिया के सबसे ऊंचे बैटलफील्ड पर सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा शुरू हो चुकी है. आपको बता दें कि इस सेवा के शुरू होने से आपातकालीन स्थिति में सियाचिन ग्लेशियर पर मौजूद भारतीय जवान मुख्यालय में सूचना दे पाएंगे. साथ ही अपने घर-परिवार और रिश्तेदारों से बात कर सकेंगे. हालांकि इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि इस सेवा का उपयोग किस तरह से और किन-किन कार्यों के लिए किया जाएगा.
Satellite-based internet service has been activated on the Siachen Glacier at 19,061 feet, the World's Highest Battlefield, by the Siachen Signallers: Indian Army’s Fire & Fury Corps pic.twitter.com/BIbCbGoRfv
— ANI (@ANI) September 18, 2022
इससे ठीक पहले आज ही के दिन भारतीय सेना ने भारतीय रक्षा उद्योग को कई प्रकार के क्रिटिकल डिफेंस इक्विपमेंट के इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के लिए ऑफर दिया है. इस ऑफर में गन, मिसाइल, ड्रोन्स, काउंटर ड्रोन्स, लॉयटर एम्यूनिशन, संचार और ऑप्टिकल सिस्टम, विशेष प्रकार के वाहन, इंजीनियरिंग यंत्र और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का प्रबंध करने को कहा है.
इसके अलावा भारतीय सेना यह भी बताया है कि प्रोक्योरमेंट की प्रक्रिया टाइमलाइन के अंदर ही होनी चाहिए. भारतीय रक्षा उद्योग के लिए प्रोक्योरमेंट विंडो छह महीने के लिए खुला रहेगा. डील साइन करने के बाद एक साल के अंदर निजी भारतीय कंपनियों को काम पूरा करना होगा.
In keeping with its commitment to fight the future wars with Indigenous Solutions, #IndianArmy invites Indian Defence Industry to offer critical defence equipment for Emergency Procurement. #IndianArmy #InStrideWithTheFuture pic.twitter.com/eAHYEM3cp7
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) September 18, 2022
इस साल जून में डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल ने भारतीय सेनाओं के लिए स्वदेशी खरीद के लिए 76,390 करोड़ रुपयों की अनुमति दी थी. इसके तहत कई तरह के हथियार, यंत्र, वाहन, मिसाइल, ऑप्टिकल सिस्टम आदि देश में ही बनी कंपनियों से बनवाए जाएंगे. लिए जाएंगे.