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सतपुड़ा भवन में क्या-क्या था मौजूद, कौन सी फाइलें हो गईं खाक? तीन दिन में आएगी रिपोर्ट

सतपुड़ा भवन में लगी आग के बुझ जाने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस अग्निकांड में कितना नुकसान हुआ है. कौन-कौन से फाइलें जली हैं और उनके जल जाने का क्या असर पड़ सकता है. इसके साथ ही ये भी बड़ी बात है, आग कैसे लगी थी. गृहमंत्री ने कहा है कि' एक बार जांच पूरी हो जाए तभी पता चल सकेगा कि कितनी फाइल्स आग से नष्ट हुई हैं.'

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सतपुड़ा भवन में लगी आग से कई जरूरी फाइलों के जल जाने की आशंका है (फाइल फोटो)
सतपुड़ा भवन में लगी आग से कई जरूरी फाइलों के जल जाने की आशंका है (फाइल फोटो)

आखिर 14 घंटे बाद भोपाल के सतपुड़ा भवन में लगी आग बुझ गई है, लेकिन कई सवाल अभी भी सुलग रहे हैं. मंगलवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सतपुड़ा भवन में लगी आग को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई, जिसमें वरिष्ठ अफसरों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों को सतपुड़ा भवन में लगी आग को लेकर तथ्य सामने रखे. इस अग्निकांड में जनजातीय कार्य विभाग और स्वास्थ्य विभाग निदेशालय को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. 

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कोरोना काल से जुड़ी फाइलें थीं मौजूद
इन विभागों में रखे स्वास्थ्य सेवाओं की स्थापना, शिकायत शाखा समेत विधानसभा प्रश्न से संबंधित दस्तावेज जल गए हैं. हजारों की संख्या में यहां फाइल्स मौजूद थीं, जिनके पूरी तरह जलकर राख हो जाने की भी आशंका है. बताया जा रहा है कि यहां कोरोना काल के समय स्वास्थ्य विभाग में की गई खरीदी और अस्पतालों को किए गए भुगतान से जुड़ी फाइल्स भी थीं. 

आधिकारिक तौर पर नहीं हुई पुष्टि
हालांकि इसकी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है. अग्निकांड की जांच के लिए बनी समिति के सदस्य राजेश राजौरा (ACS HOME) ने बताया कि इमारत के अंदर जाना फिलहाल संभव नहीं है, इसलिए यह बताना की अंदर कितनी फाइल्स जली हैं या बच गयी हैं, यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं होगा. एक बार जांच पूरी हो जाए तभी पता चल सकेगा कि कितनी फाइल्स आग से नष्ट हुई हैं.

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तीन दिन में आएगी जांच रिपोर्ट
अग्निकांड के बाद सबसे बड़ा सवाल यहां मौजूद रिकॉर्ड्स को लेकर भी उठ रहा है. मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद सीएम हाउस से बाहर निकलकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि आग से प्रभावित कार्यालयों में किसी भी प्रकार के पर्चेचिंग और टेंडरिंग संबंधी दस्तावेज नहीं थे. अन्य डाटा के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारियां हार्डडिस्क से रिकवर हो जाएंगी. इसमें थोड़ी मेहनत अधिक लगेगी.

इसके अलावा गृहमंत्री ने बताया कि कई सारी फाइल्स को डिजिटल रूप में सेव किया जा चुका है इसलिए यह कहना की आग से सभी फाइल्स और रिकॉर्ड्स जल गए यह कहना गलत होगा. समिति अगले तीन दिन में इस अग्निकांड की जांच रिपोर्ट पेश कर देगी.

सोमवार शाम 4 बजे लगी थी आग
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सोमवार शाम करीब 4 बजे सतपुड़ा भवन में भीषण आग लग गई. देर शाम तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया. तीसरी मंजिल से शुरू हुई आग की लपटें फैलते हुए छठी मंजिल तक पहुंच गईं और देखते ही देखते पूरा भवन धूं धूं करके जलने लगा. बताया गया कि इमारत में तीसरी मंजिल पर पहले शॉर्ट सर्किट हुआ और इससे एसी ब्लास्ट हो गया. इसके बाद आग बढ़ती चली गई.

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आग बुझाने के लिए आई सेना और वायुसेना
आग इतनी भीषण थी कि उस पर 14 घंटे बाद काबू पाया जा सका. दमकल कर्मी, फायर फाइटर्स तो आग बुझाने के लिए जुटे रहे, लेकिन विकराल होती आग पर काबू पाने के लिए पहले सेना को बुलाना पड़ा और फिर देर शाम सीएम शिवराज सिंह चौहान के कहने पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एयरफोर्स को भी इस मामले में सहायता करने के निर्देश दिए.

जांच के लिए कमेटी घोषित
सतपुड़ा भवन में लगी आग के प्रारंभिक कारणों को जानने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौहान ने कमेटी घोषित की है. इस कमेटी में एसीएस होम राजेश राजौरा, पीएस अर्बन नीरज मंडलोई, पीएस पीडब्ल्यूडी सुखबीर सिंह और एडीजी फायर रहेंगे. कमेटी के सदस्य जांच के प्रारंभिक कारणों का पता लगाकर रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौपेंगे.

25 करोड़ का फर्नीचर स्वाहा
सतपुड़ा भवन में सोमवार को लगी आग से करीब 25 करोड़ का फर्नीचर और 12 हजार से ज्यादा अहम फाइलें स्वाहा हो गईं. मतलब राज्य निदेशालय के लगभग 80 फीसदी दस्तावेज खाक हो गए. आग लगने के समय भवन के अंदर एक हजार से ज्यादा लोग थे, लेकिन उन्होंने समय रहते बाहर निकलकर अपनी जान बचा ली. गनीमत रही कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ.

चुनाव से चार माह पहले लगी आग
यह दूसरी बार है जब इस भवन में आग लगी है. इससे पहले भी साल 2018 में विधनसभा चुनाव के ठीक बाद और साल 2012 में चुनाव के पहले इसी भवन की तीसरी मंजिल धधक उठी थी. अब फिर चुनाव से 4 माह पहले लगी आग को विपक्षी दल कांग्रेस ने साजिश करार दिया है, जबकि सूबे के सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने कहा है कि इस कार्यालय में कोई संवेदनशील दस्तावेज नहीं थे.

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