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सद्गुरु ने 'Save Soil' अभियान को दिया नया आयाम, कहा- हर 5 सेकेंड में कम हो रही फुटबॉल मैदान जितनी उपजाऊ जमीन

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने सोमवार को विश्व मिट्टी दिवस के अवसर पर 'Save Soil' अभियान को नया आयाम दिया. इसके लिए दुनियाभर के लोगों को अपने सबसे अच्छे फुटबॉल शॉट के वीडियो को सोशल मीडिया पर लगाने और  #ScoreForSoil संदेश से जोड़ने का मौका दिया गया है.

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अभियान की शुरुआत करते सद्गुरु
अभियान की शुरुआत करते सद्गुरु

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने सोमवार को विश्व मिट्टी दिवस के अवसर पर 'Save Soil' अभियान को नया आयाम दिया. इस दौरान सद्गुरु ने #ScoreForSoil अभियान की घोषणा की. उन्होंने FIFA वर्ल्डकप का जिक्र करते हुए कहा कि इस फुटबॉल सीजन में गौर करने वाली बात है कि हर पांच सेकेंड में हम पृथ्वी से एक फुटबॉल मैदान जितनी उपजाऊ जमीन खो रहे हैं. मिट्टी पतन की वजह से बीते 25 साल में धरती की ऊपरी सतह का 10 फीसदी हिस्सा निष्प्राण हो गया है. 

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इस मुहिम को दिलचस्प बनाने का प्रयास किया गया है. इसके लिए दुनियाभर के लोगों को अपने सबसे अच्छे फुटबॉल शॉट के वीडियो को सोशल मीडिया पर लगाने और  #ScoreForSoil संदेश से जोड़ने का मौका दिया गया है. सोमवार को बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सद्गुरु ने कहा कि गौर करने वाली बात यह है कि पृथ्वी पर समस्याओं को लेकर नजररिया बदलने लगा है. सद्गुरु ने ये बात हाल ही में ग्लेसगोव में हुए  COP26 सम्मेलन के संदर्भ में कही, जहां पर मौसम बदलाव पर बातचीत हुई थी, लेकिन मिट्टी के पतन के बारे में ज़िक्र भी नहीं था. इसके बाद जब इजिप्ट में हुए  COP27 के दौरान मिट्टी के क्षय को लेकर वृहद रूप से परिचर्चा हुई. 

फाइल फोटो

उन्होंने कहा कि ये अभियान जब हमने शुरू किया था तब काफी लोगो में संदेह था, पर अब कोई शक नहीं है कि मिट्टी पुनर्जीवित करने की नीतियां पूरे विश्व में ज़रूर सार्थक होंगी. फिलहाल मुझे इसकी स्पीड को लेकर चिंता है. इस गति को बनाए रखने के लिए आप सबको अलग-अलग माध्यमों के जरिए आवाज जारी रखनी होगी. मीडिया से बात करने से पहले सद्गुरु स्वयं बाइक चलाकर कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे.  

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फाइल फोटो

सद्गुरु ने आगे कहा अगर मिट्टी में पोषक तत्त्व कम होंगे, तो खाद्यान्न की गुणवत्ता भी निम्न स्तर की होगी. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि माइक्रो पोषक तत्वों की कमी के कारण अनेक रोग और मानसिक विकार पनपने लगे हैं. अगर मिट्टी का स्तर इसी तरह गिरता रहा तो एक वक्त आएगा कि जब खाना प्राप्त करने की भी समस्या हो जाएगी. इस समय जरूरी है कि हम इस बात पर गौर करें कि आहार भी पर्याप्त मात्रा में मिले और उसमें पोषक तत्व भी भरपूर हों.  

फाइल फोटो

ईशा फाउंडेशन की ओर से चलाए जा रहे 'कावेरी कॉलिंग' अभियान के बारे में बताते हुए सद्गुरु ने कहा कि हमने अब तक 1,32,000 किसानों की कृषि प्रक्रिया को नया आयाम देते हुए उन्हें उनकी खेती को पुनर्जीवित किया है. इसमें वृक्ष- आधारित कृषि भी शामिल है. इसके फलस्वरूप उनकी आमदनी में 300 से 800 प्रतिशत तक वृद्धि देखी गई है. 
 

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