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व्हाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी पर अगले साल जनवरी में होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी 2021 से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा जरूरी है. केंद्र सरकार ने पीठ को बताया कि वह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए डेटा प्रोटेक्शन बिल लाने की तैयारी में है, जिसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप (Whatsapp) की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट अगले साल 17 जनवरी को संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई करेगा. केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए डेटा प्रोटेक्शन बिल लाने की तैयारी में है. 

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जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी 2021 से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रही थी. 

केंद्र सरकार की ओर से मामले की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि सरकार पहले ही पुराने डेटा संरक्षण बिल को वापस ले चुकी है और संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में जल्द ही नए बिल को पेश किया जाएगा. 

वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पीठ को बताया कि दुनिया में व्हाट्सऐप के सबसे अधिक यूजर्स होने के बावजूद भारत के यूजर्स अपने मौलिक अधिकारों से वंचित हैं. अन्य देशों विशेष रूप से यूरोपीय संघ में व्हाट्सऐप को लेकर प्राइवेसी के उच्च मानक हैं लेकिन ये मानक भारत में नहीं हैं.

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को बताया कि सरकार इस स्थिति से वाकिफ है और इस संबंध में नए बिल पर काम किया जा रहा है. यह न्यायिक मामले से अधिक विधायी मुद्दा है इसलिए हमें कुछ समय देना चाहिए.

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इस पर जस्टिस जोसेफ ने मेहता से सवाल पूछा कि अगर यह मामला इतने सालों से लंबित है और अगर सरकार इस संबंध में कोई विधेयक लाना चाहती थी तो इतना इंतजार क्यों किया?

व्हाट्सऐप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया कि व्हाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी कड़ी है. प्राइवेसी का यह मामला अन्य प्लेटफॉर्म पर भी लागू होना चाहिए. यूरोपीय देशों में अपने नियम हैं, जो वहां लागू होते हैं. भारत में हम मौजूदा नियमों का ही पालन करते हैं. इससे निवेश का मामला भी जुड़ा है इसलिए इसके दूरगामी परिणाण हो सकते हैं.  इस पर पीठ ने कहा, हम यहां यूजर्स के अधिकारों की सुरक्षा के लिए हैं.

पीठ के विचारों से सहमति जताते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, भारत में जो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, उसे नागरिकों के हितों से जुड़ा हुआ होना चाहिए. हमने ऐसे कई मामले देखे हैं, जहां निजता का उल्लंघन हुआ है. 

बता दें कि यहां मेहता ने कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर एक मामले का उल्लेख किया, जहां केंद्र सरकार ने ट्विटर के खिलाफ अदालत का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 17 जनवरी 2023 को सुनवाई करेगा. 

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