सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच कॉलेजियम को लेकर तकरार बरकरार है. अब कानून मंत्री किरन रिजिजू ने आईबी और रॉ की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की आलोचना. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट संवेदनशील हैं. यह एक गंभीर मुद्दा है. ऐसा करना चिंता का विषय है. आने वाले वक्त में इसका काफी असर देखने को मिल सकता है.
एक दिन पहले कानून मंत्री ने कॉलेजियम को लेकर हो रही बातों को निराधार बताया था. उन्होंने कहा कि बीजेपी में कहा जाता है कि मतभेद हो सकता है, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए. हम अलग राय रख सकते हैं. राय में अंतर का मतलब ये नहीं है कि हम एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं. वहीं 6 जनवरी को सीजेआई को लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा कि यह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को नियुक्त करने की प्रक्रिया को लेकर लिखा था, जिसमें बताया गया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में एक प्रतिनिधि रखना चाहती है.
उन्होंने पूछा कि वह सीजेआई और चार वरिष्ठ न्यायाधीशों वाले समूह में एक व्यक्ति को कैसे रख सकते हैं. कानून मंत्री ने कहा कि इसमें कोई "हेड एंड टेल" नहीं था, लेकिन यह लोगों के बीच बहस का विषय बन गया कि सरकार अपने प्रतिनिधियों को कॉलेजियम में कैसे रख सकती है.
सौरभ कृपाल से जुड़ा है रिपोर्ट सार्वजनिक करने का मामला
दरअसल सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम समलैंगिक वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट में जज नियुक्ति करना चाहता है. कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश की थी लेकिन केंद्र ने उनके नाम पर आपत्ति दर्ज करा दी थी. केंद्र ने इसके लिए खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट का हवाला दिया था, लेकिन कॉलेजियम ने रॉ की आपत्तियों को खारिज कर दिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार जजों के बारे में दी गईं केंद्र की आपत्तियों और रॉ-सीबीआई की रिपोर्ट्स को सार्वजनिक कर दिया था.
रॉ ने समलैंगिक वकील के विदेशी पार्टनर को लेकर शक जाहिर किया था. कॉलेजियम ने इस पर कहा था कि रॉ ने जो कुछ भी बताया, उससे यह बिल्कुल नहीं लगता कि कृपाल के आचरण से राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई असर पड़ता है. पहले से यह मान लेना कि उनके पार्टनर भारत के प्रति दुश्मनी का भाव रखते होंगे, गलत है. सौरभ कृपाल के पार्टनर निकोलस जर्मेन बाकमैन स्विस नागरिक हैं. वह स्विस दूतावास में काम करते हैं.
वहीं केंद्र का कहना है कि समलैंगिक अधिकारों के लिए सौरभ कृपाल के ‘लगाव’ के चलते सौरभ कृपाल में पूर्वाग्रह होने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. साथ ही केंद्र ने कृपाल के पार्टनर के स्विस नागरिक होने पर सवाल उठाए हैं.
कांग्रेस ने रॉ एजेंसी की भूमिका पर उठाए हैं सवाल
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस मामले में ट्वीट कर कहा था- रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) एक भारतीय नागरिक के सेक्सुअल ओरिएंटेशन की जांच कैसे कर रहा था? भारत में बैठा एक स्विस नागरिक भी उनके चार्टर के दायरे में नहीं आएगा. यही कारण है कि 2011 से मांग की जा रही थी कि आईबी, रॉ और एनटीआरओ को वैधानिक आधार पर रखने के लिए 2 प्राइवेट मेंबर बिल लाए जाएं.
उन्होंने अपने एक और ट्वीट में कहा- रॉ एक भारतीय नागरिक पर रिपोर्ट क्यों कर रहा था? भले ही सीनियर सौरभ कृपाल के साथी एक स्विस नागरिक हैं, फिर भी जांच का काम इंटेलिजेंस ब्यूरो का है, न कि रॉ का. हम वह जांच तब कर सकते हैं, जब उनके मूल देश में उनकी छवि की जांच चल रही हो.