सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने चुनावी बॉन्ड योजना को 'असंवैधानिक' करार देते हुए राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिलने वाले चंदे के बारे में जानकारी साझा करने का निर्देश दिया था. इसके लिए कोर्ट ने छह मार्च 2024 तक का समय बैंक को दिया था, लेकिन एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर अनुरोध किया है कि उन्हें इसके लिए 30 जून तक का समय मांगा है. बैंक की इस याचिका पर 11 मार्च यानी सोमवार को सुनवाई होनी है.
SBI की अर्जी पर सोमवार को होगी सुनवाई
अब सुप्रीम कोर्ट सोमवार को चुनावी बॉन्ड मामले में एसबीआई की अर्जी पर सुनवाई करेगा. इस याचिका में चुनाव आयोग ने बैंक से डेटा जमा करने के लिए 30 जून तक का समय बढ़ाने की मांग की गई है. वहीं, एसबीआई के खिलाफ एडीआर द्वारा दायर अवमानना याचिका पर भी सोमवार को सुनवाई होनी है. हालांकि, इंडिया टुडे ने बुधवार को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट एसबीआई की याचिका पर सोमवार को सुनवाई कर सकती है.
ADR की याचिका पर भी होगी सुनवाई
बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में 6 मार्च तक डेटा जमा न करा पाने पर ADR ने एसबीआई के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करते हुए जल्द सुनवाई की मांग की थी. वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने SC में चुनावी बांड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ये सीधे तौर पर अवमानना का मामला है. दूसरी ओर SBI ने समय बढ़ाने की अर्जी भी दी है. उस पर 11 मार्च को सुनवाई होनी है. हमारी अवमानना याचिका को भी उसके साथ साथ ही सुना जाए. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वो सारी प्रक्रिया पूरी करें. यानी अर्जी ईमेल करें फिर विचार करेंगे.
वरिष्ठ वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वो एसबीआई का इस्तेमाल कर लोकसभा चुनाव होने तक इलेक्टोरल बॉन्ड के डोनर्स की जानकारी उजागर नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की जानकारी लोकसभा चुनाव से पहले जारी कर दी जाती है तो कई रिश्वत देने वाले एक्सपोज होंगे कि वे किस तरह सरकारी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए रिश्वत देने वाले एक्सपोज होंगे कि वे किस तरह सरकारी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए रिश्वत दे रहे हैं.
क्या है SC का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बीते फरवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि ये संविधान के तहत सूचना के अधिकार, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था.